SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१६ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद प्राभृत-१०-प्राभृतप्राभृत-१३] [६१] हे भगवन् ! मुहूर्त के नाम किस प्रकार है ? एक अहोरात्र के तीश मुहूर्त बतायें है-यथानुक्रमसे-इस प्रकार है । [६२] रौद्र, श्रेयान्, मित्रा, वायु, सुग्रीव, अभिचन्द्र, माहेन्द्र, बलवान्, ब्रह्मा, बहुसत्य, इशान-तथा [६३] त्वष्ट्रा, भावितात्मा, वैश्रवण, वरुण, आनंद, विजया, विश्वसेन, प्रजापति, उपशम तथा [६४] गंधर्व, अग्निवेश, शतवृषभ, आतपवान्, अमम, ऋणवान्, भौम, ऋषभ, सर्वार्थ और राक्षस । प्राभृत-१०-प्राभृतप्राभृत-१४ || [६५] हे भगवन् किस क्रम से दिन का क्रम कहा है ? एक-एक पक्ष के पन्द्रह दिवस है-प्रतिपदा, द्वितीया यावत् पूर्णिमा । यह पन्द्रह दिवस के पन्द्रह नाम इस प्रकार है [६६] पूर्वांग, सिद्धमनोरम, मनोहर, यशोभद्र, यशोधर, सर्वकामसमृद्ध; तथा[६७] इन्द्रमूद्धाभिषिक्त, सौमनस, धनंजय, अर्थसिद्ध, अभिजात, अत्याशन, शतंजय; [६८] अग्निवेश्म और उपशम । ये दिवस के नाम है । हे भगवन् ! रात्रि का क्रम किस तरह प्रतिपादित किया है ? एक-एक पक्ष में पन्द्रह रात्रियां है-प्रतिपदारात्रि, द्वितीयारात्री...यावत्...पन्द्रहवीं रात्रि । इन रात्रियों के पन्द्रह नाम इस प्रकार है [६९] उत्तमा, सुनक्षत्रा, एलापत्या, यशोधरा, सौमनसा, श्रीसंभूता; तथा[७०] विजया, वैजयंती, जयंती, अपराजिता, इच्छा, समाहारा, तेजा, अतितेजा; [७१] पन्द्रहवी देवानन्दा । ये रात्रियों के नाम है । | प्राभृत-१०-प्राभृतप्राभृत-१५ | [७३] हे भगवन् ! यह तिथि किस प्रकार से कही है ? तिथि दो प्रकार की हैदिवसतिथि और रात्रितिथि । वह दिवस तिथि एक-एक पक्ष में पन्द्रह-पन्द्रह होती है नंदा, भद्रा, जया, तुच्छा, पूर्णा यह पांच को तीनगुना करना, नाम का क्रम यहीं है । वह रात्रि तिथि भी एक एक पक्ष में पन्द्रह होती है-उग्रवती, भोगवती, यशस्वती, सव्वसिद्धा, शुभनामा इसी पांच को पूर्ववत् तीन गुना कर देना । |प्राभृत-१०-प्राभृतप्राभृत-१६] [७४] हे भगवन् ! नक्षत्र के गोत्र किस प्रकार से कहे है ? इन अठ्ठावीस नक्षत्रो में अभिजीत नक्षत्र का गोत्र मुद्गलायन है, इसी तरह श्रवण का शंखायन, घनिष्ठा का अग्रतापस, शतभिषा का कर्णलोचन, पूर्वाभाद्रपद का जातुकर्णिय, उत्तराभाद्रपद का धनंजय, रेवती का पौष्यायन, अश्विनी का आश्वायन, भरणी का भार्गवेश, कृतिका का अग्निवेश, रोहिणी का गौतम, मृगशिर्ष का भारद्वाज, आर्द्रा का लौहित्यायन, पूनर्वसू का वाशिष्ठ, पुष्य का कृष्यायन, आश्लेषा का मांडव्यायन, मघा का पिंगलायन, पूर्वाफाल्गुनीका मिल्लायन, उत्तराफाल्गुनी का
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy