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चन्द्रप्रज्ञप्ति-७/-/४२
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(प्राभृत-७) [४२] सूर्य का वरण कौन करता है ? इस विपय में बीस प्रतिपत्तिया है । एक कहता है मंदर पर्वत सूर्य का वरण करता है, दुसरा कहता है कि मेरु पर्वत वरण करता है यावत् बीसवां कहता है कि पर्वतराज पर्वत सूर्य का वरण करता है । (प्राभृत-५-के समान समस्त कथन समझ लेना ।) भगवंत फरमाते है कि मंदर पर्वत से लेकर पर्वतराज पर्वत सूर्य का वरण करता है, जो पुद्गल सूर्य की लेश्या को स्पर्श करते है वे सभी सूर्य का वरण करते है । अदृष्ट एवं चरमलेश्यान्तर्गत् पुद्गल भी सूर्य का वरण करते है । प्राभृत-७-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
(प्राभृत-८) [४३] सूर्य की उदय संस्थिति कैसी है ? इस विषय में तीन प्रतिपत्तियां है । एक परमतवादी कहता है कि जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अठारह मुहूर्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी अट्ठारह मुहूर्त प्रमाण दिन होता है । जब उत्तरार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी अट्ठारह मुहूर्त का दिन होता है । जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में सत्तरह मुहूर्त प्रमाण दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी सत्तरह मुहूर्त का दिन होता है इसी तरह उत्तरार्द्ध में सत्तरह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी समझना । इसी प्रकार से एकएक मुहूर्त की हानि करते-करते सोलह-पन्द्रह यावत् बारह मुहूर्त प्रमाण जानना । जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी बारह मुहूर्त का दिन होता है और उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी बारह मुहूर्त का दिन होता है । उस समय जंबूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व और पश्चिम में हमेशा पन्द्रह मुहूर्त का दिन और पन्द्रह मुहर्त की रात्रि अवस्थित रहती है ।
कोइ दुसरा कहता है कि जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में जब अठ्ठारह मुहूर्तान्तर दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी अट्ठारहर्मुहूर्तान्तर दिन होता है और उत्तरार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्तान्तर दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी अट्ठारह मुहूर्तान्तर का दिन होता है । इसी क्रम से इसी अभिलाप से सत्तरह-सोलह यावत् बारह मुहूर्तान्तर प्रमाण को पूर्ववत् समझलेना । इन सब मुहूर्त प्रमाण काल में जंबूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व और पश्चिम में सदा पन्द्रह मुहूर्त का दिन नहीं होता
और सदा पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि भी नहीं होती, लेकिन वहां रात्रिदिन का प्रमाण अनवस्थित रहता है ।
कोइ मतवादी यह भी कहता है कि जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहर्त की रात्रि होती है और उत्तरार्द्ध अठ्ठारह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब दक्षिणार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्तान्तर का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त प्रमाण रात्रि होती है, उत्तरार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्तान्तर दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त प्रमाण रात्रि होती है । इसी प्रकार इसी अभिलाप से बारह मुहूर्त तक का कथन कर लेना यावत् जब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्तान्तर प्रमाण दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बार मुहूर्त प्रमाण की रात्रि होती है एवं मेरुपर्वत के पूर्व-पश्चिम में