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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
पांच मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के पचास बासठांश भाग तथा बासठवें भाग के सडसठ भाग से विभक्त करके साठ चूर्णिका भाग शेष रहते है और सूर्य का उत्तराषाढा नक्षत्र से योग होता है तब उत्तराषाढा का चरम समय होता है, पांचो आवृत्ति में उत्तराषाढा का गणित इसी प्रकार का है, लेकिन चंद्र के साथ योग करनेवाले नक्षत्रो में भिन्नता है, वह मूल पाठ से जानलेना।
[१०६] निश्चय से योग दश प्रकार के है-वृषभानुजात, वेणुकानुजात, मंच, मंचातिमंच, छत्र, छत्रातिछत्र, युगनद्ध, धनसंमर्द, प्रीणित और मंडुकप्लुत, इसमें छत्रातिछत्र नामक योग चंद्र किस देश में करता है ? जंबूद्वीप की पूर्व-पश्चिम तथा उत्तर-दक्षिण लम्बी जीवा के १२४ भाग करके नैऋत्य कोने के चतुर्थांश प्रदेश में सत्ताइस अंशो को भोगकर अठ्ठाइसवें को बीस से विभक्त करके अठारह भाग ग्रहण करके तीन अंश और दो कला से नैऋत्य कोण के समीप चन्द्र रहता है । उसमें चन्द्र उपर, मध्य में नक्षत्र और नीचे सूर्य होने से छत्रातिछत्र योग होते है और चन्द्र चित्रानक्षत्र के अन्त भाग में रहता है ।
(प्राभृत-१३) [१०७] हे भगवन् ! चंद्रमा की क्षयवृद्धि कैसे होती है ? ८८५ मुहर्त एवं एक मुहूर्त के तीस बासठांश भाग से शुक्लपक्ष से कृष्णपक्ष में गमन करके चंद्र ४४२ मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के छयालीस बासठांश भाग यावत् इतने मुहूर्त में चंद्र राहुविमान प्रभा से रंजित होता है, तब प्रथम दिन का एक भाग यावत् पंद्रहवे दिन का पन्द्रहवें भाग में चंद्र रक्त होता है, शेष समय में चंद्र रक्त या विरक्त होता है । यह पन्द्रहवा दिन अमावास्या होता है, यह हे प्रथम पक्ष । इस कृष्णपक्ष से शुक्ल पक्ष में गमन करता हुआ चंद्र ४४२ मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के छयालीस बासठांश भाग से चंद्र विरक्त होता जाता है, एकम में एक भाग से यावत् पूर्णिमा को पन्द्रह भाग से विरक्त होता है, यह है पूर्णिमा और दुसरा पक्ष ।
[१०८] निश्चय से एक युग में बासठ पूर्णिमा और बासठ अमावास्या होती है, बासठवीं पूर्णिमा सम्पूर्ण विरक्त और बासठवीं अमावास्या सम्पूर्ण रक्त होती है । यह १२४ पक्ष हुए | पांच संवत्सर काल से यावत् किंचित् न्यून १२४ प्रमाण समय असंख्यात समय देशरक्त
और विरक्त होता है । अमावास्या और पूर्णिमाका अन्तर ४४२ मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के छयालीस वासट्ठांश भाग प्रमाण होता है । अमावास्या से अमावास्या का अन्तर ८८५ मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के बत्तीस बासठांश भाग प्रमाण होता है, पूर्णिमा से पूर्णिमा का अन्तर इसी तरह समझना । यही चंद्र मास है ।।
[१०९] चंद्र अर्धचान्द्र मास में कितने मंडल में गमन करता है ? वह चौदह मंडल एवं पन्द्रहवा मंडल का चतुर्थांश भाग गमन करता है । सूर्य के अर्द्धमास में चंद्र सोलह मंडल में गमन करता है । सोलह मंडल चारी वही चंद्र का उदय होता है और दुसरे दो अष्टक में निष्क्रम्यमान चंद्र पूर्णिमा में प्रवेश करता हुआ गमन करता है । प्रथम अयन से दक्षिण भाग की तरफ से प्रवेश करता हुआ चंद्र सात अर्धमंडल में गमन करता है, वह सात अर्द्धमंडल है-दुसरा, चौथा, छठ्ठा, आठवां, दसवां, बारहवां और चौदहवां । प्रथम अयन में गमन करता हुआ चंद्र पूर्वोक्त मंडलो में उत्तर भाग से आरंभ करके अन्तराभिमुक प्रवेश करके छह मंडल और सातवें मंडल का तेरह सडसठांश भाग में प्रवेश करके गमन करता है, यह छह मंडल है