________________
जीवाजीवाभिगम-२/-/६८
३९
असंख्यातगुण, उनसे पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यक् नपुंसक विशेषाधिक । उनसे अपकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक अनन्तगुण हैं । इन मनुष्य नपुंसकों में सबसे थोड़े अन्तर्दीपिक मनुष्य नपुंसक, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमि के मनुष्य नपुंसक दोनों संख्यातगुण, इस प्रकार यावत् पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह के कर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक दोनों संख्येयगुण हैं |
___ सबसे थोड़े अधःसप्तमपृथ्वी नैरयिक नपुंसक, उनसे छठी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे यावत् दूसरी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे अन्तर्वीप के मनुष्य नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक दोनों संख्यातगुण, उनसे यावत् पूर्वविदेह पश्चिमविदेह कर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक दोनों संख्यातगुण, उनसे रत्नप्रभा के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे खेचर पंचेन्द्रियतिर्यक्योनिक नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे स्थलचर पंचेन्द्रिय नपुंसक संख्यातगुण, उनसे चतुरिन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक विशेषाधिक, उनसे त्रीन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक विशेषाधिक, उनसे द्वीन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक विशेषाधिक, उनसे तेजस्काय एकेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे पृथ्वीकाय एकेन्द्रिय नपुंसक विशेषाधिक, उनसे अप्कायिक एकेन्द्रिय नपुंसक विशेषाधिक, उनसे वायुकायिक एकेन्द्रिय नपुंसक विशेषाधिक, उनसे वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक अनन्तगुण हैं ।
[६९] हे भगवन् ! नपुंसकवेद कर्म की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य से सागरोपम के (दो सातिया भाग) भाग में पल्योपम का असंख्यातवां भाग कम और उत्कृष्ट से बीस कीडाकोडी सागरोपम की बंधस्थिति कही गई है । दो हजार वर्ष का अबाधाकाल है। अबाधाकाल से हीन स्थिति का कर्मनिषेक है अर्थात् अनुभवयोग्य कर्मदलिक की रचना है । भगवन् ! नपुंसक वेद किस प्रकार का है ? हे गौतम ! महानगर के दाह के समान है ।
[७०] (१) भगवन् ! इन स्त्रियों में, पुरुषों में और नपुंसकों में कौन किससे कम, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़े पुरुष, स्त्रियां संख्यातगुणी और नपुंसक अनन्तगुण हैं । (२) इन तिर्यक्योनिक में, सबसे थोड़े तिर्यक्योनिक पुरुष, तिर्यक्योनिक स्त्रियां उनसे असंख्यातगुणी और उनसे तिर्यक्योनिक नपुंसक अनन्तगुण हैं । (३) इन मनुष्य में, सबसे थोड़े मनुष्यपुरुष, उनसे मनुष्यस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे मनुष्यनपुंसक असंख्यातगुण हैं ।
(४) सबसे थोड़े नैरयिकनपुंसक, उनसे देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे देवस्त्रियां संख्यातगुणा हैं । (५) गौतम ! सबसे थोड़े मनुष्यपुरुष, उनसे मनुष्यस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे मनुष्यनपुंसक असंख्यातगुण, उनसे नैरयिकनपुंसक असंख्यातगुण, उनसे तिर्यक्योनिकपुरुष असंख्यातगुण, उनसे तिर्यक्योनिकस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे देवस्त्रियां संख्यातगुण, उनसे तिर्यक्योनिक नपुंसक अनन्तगुण हैं । (६) गौतम ! सबसे थोड़े
खेचर तिर्यक्योनिक पुरुष, उनसे खेचर तिर्यक्योनिक स्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक पुरुष संख्यातगुण, उनसे स्थलचर, पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक स्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे जलचर तिर्यक्योनिक पुरुष संख्यातगुण, उनसे जलचर तिर्यक्योनिक