SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव पुरुषवेदी हैं, स्त्रीवेदी संख्यातगुणे हैं; अवेदी अनन्तगुणे हैं, नपुंसकवेदी अनन्तगुणे हैं उनसे भी सवेदी विशेषाधिक हैं ।। [२६९] भगवन् ! इन सकषायी, क्रोधकषायी यावत् लोभकषायी और अकषायी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव अकषायी हैं, मानकषायी जीव अनन्तगुणे हैं, क्रोधकषायी जीव विशेषाधिक हैं, मायाकषायी जीव विशेषाधिक हैं, लोभकषायी विशेषाधिक हैं और (उनसे भी) सकषायी जीव विशेषाधिक हैं । २७०] भगवन् ! इन सलेश्यों, कृष्णलेश्या वालों, यावत् शुक्ललेश्या वालों एवं लेश्यारहित जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी हैं, पद्मलेश्यी संख्यातगुणे हैं, तेजोलेश्यी संख्यातगुणे हैं, लेश्यारहित अनन्तगुणे हैं, कापोतलेश्यी अनन्तगुणे हैं, नीललेश्यी विशेषाधिक हैं; कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे सलेश्य विशेषाधिक हैं । [२७१] भगवन् ! सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि एवं सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवों में कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े सम्यमिथ्यादृष्टि हैं, सम्यग्दृष्टि जीव अनन्तगुणे हैं उनसे भी मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तगुणे हैं । [२७२] भगवन् ! आभिनिबोधिकज्ञानी यावत् केवलज्ञानी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प मनःपर्यवज्ञानी हैं, अवधिज्ञानी असंख्यातगुणे हैं, आभिनिबोधिक ज्ञानी और श्रुतज्ञानी; ये दोनों तुल्य हैं और विशेषाधिक हैं, उनसे केवलज्ञानी अनन्तगुणे हैं । भगवन् ! इन मति-अज्ञानी, श्रुत-अज्ञानी और विभंगज्ञानी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे थोडे विभंगज्ञानी हैं, मति-अज्ञानी और श्रुतअज्ञानी दोनों तुल्य हैं और अनन्तगुणे हैं । भगवन् ! इन आभिनिबोधिकज्ञानी, यावत् विभंगज्ञानी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प मनःपर्यवज्ञानी हैं, अवधिज्ञानी असंख्यातगुणे हैं, आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी दोनों तुल्य हैं और विशेषाधिक हैं, विभंगज्ञानी असंख्यातगुणे हैं, केवलज्ञानी अनन्तगुणे हैं, मति-अज्ञानी और श्रुत-अज्ञानी, दोनों तुल्य हैं और (केवलज्ञानियों से) अनन्तगुणे हैं । [२७३] भगवन् ! इन चक्षुदर्शनी यावत् केवलदर्शनी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े अवधिदर्शनी हैं, चक्षुदर्शनी जीव असंख्यातगुणे हैं, केवलदर्शनी अनन्तगुणे हैं, उनसे भी अचक्षुदर्शनी जीव अनन्तगुणे हैं । [२७४] भगवन् ! इन संयतों, असंयतों, संयतासंयतों और नोसंयत-नोअसंयतनोसंयतासंयत जीवों में ? गौतम ! सबसे अल्प संयत जीव हैं, संयतासंयत असंख्यातगुणे हैं, नोसंयत-नोअसंयत-नोसंयतासंयत जीव अनन्तगुणे हैं, उनसे भी असंयत जीव अनन्तगुणे हैं। [२७५] भगवन् ! इन साकारोपयोग-युक्त और अनाकारोपयोग-युक्त जीवों में ? गौतम ! सबसे अल्प अनाकारोपयोग वाले जीव हैं, उनसे साकारोपयोग वाले जीव संख्यातगुणे हैं । [२७६] भगवन् ! इन आहारकों और अनाहारकजीवों में से ? गौतम ! सबसे कम अनाहारक जीव हैं, उनसे आहारक जीव असंख्यातगुणे हैं ।
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy