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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
बादर वनस्पतिकाय के सूत्र बादर पर्याप्त पृथ्वीकायवत् कहना । सामान्य निगोद-पर्याप्तसूत्र में जघन्य, उत्कर्ष से अन्तर्मुहूर्त; बादर त्रसकायपर्याप्तसूत्र में जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट साधिक सागरोपम शतपृथक्त्व कहना चाहिए । (इतनी स्थिति चारों गतियों में भ्रमण करने से घटित होती है)।
[३६१] औधिक बादर, बादर वनस्पति, निगोद और बादर निगोद, इन चारों का अन्तर पृथ्वीकाल है, अर्थात् असंख्यातकाल-असंख्यातकाल असंख्येय उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी के बराबर है तथा क्षेत्रमार्गणा से असंख्येय लोकाकाश के प्रदेशों का प्रतिसमय एक-एक के मान से अपहार करने पर जितने समय में वे निर्लिप्त हो जायें, उतना कालप्रमाण जानना चाहिए । शेष बादर पृथ्वीकायिक, बादर अपकायिक, बादर तेजस्कायिक, बादर वायुकायिक, प्रत्येक बादर वनस्पतिकायिक और बादर त्रसकायिक-इन छहों का अन्तर वनस्पतिकाल जानना। इसी तरह अपर्याप्तक और पर्याप्तक संबंधी दस-दस सूत्र भी ऊपर की तरह कहना चाहिए ।
[३६२] प्रथम औधिक अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े बादर त्रसकाय, उनसे बादर तेजस्काय असंख्येयगुण, उनसे प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकाय असंख्येयगुण, उनसे बादर निगोद असंखेयगुण, उनसे बादर पृथ्वीकाय असंखेयगुण, उनसे बादर अपकाय, बादर वायुकाय क्रमशः असंखेयगुण, उनसे बादर वनस्पतिकायिक अनन्तगुण, उनसे बादर विशेषाधिक । अपर्याप्त बादरों का अल्पबहुत्व औधिकसूत्र के अनुसार ही जानना चाहिए-जैसे सबसे थोड़े बादर त्रसकायिक अपर्याप्त, उनसे बादर तेजस्कायिक अपर्याप्त असंख्येयगुण इत्यादि औधिक क्रम ।
पर्याप्त बादरों का अल्पबहत्व-सबसे थोड़े बादर तेजस्कायिक पर्याप्त, उनसे बादर त्रसकायिक पर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे बादर प्रत्येकशरीर वनस्पतिकायिक पर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे बादर निगोद पर्याप्तक असंख्येयगुण, उनसे बादर पृथ्वीकायिक पर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे बादर अप्कायिक पर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे बादर वायुकाय पर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त अनन्तगुण, उनसे बादर पर्याप्तक विशेषाधिक । प्रत्येक के बादर पर्याप्त-अपर्याप्तों का अल्पबहुत्व-(सब जगह) पर्याप्त बादर थोड़े हैं और बादर अपर्याप्तक असंख्येयगुण हैं, क्योंकि एक बादर पर्याप्त की निश्रा में असंख्येय बादर अपर्याप्त उत्पन्न होते हैं ।
सबका समुदित अल्पबहुत्व-गौतम ! सबसे थोड़े बादर तेजस्कायिक पर्याप्तक, उनसे बादर त्रसकायिक पर्याप्तक असंख्येयगुण, उनसे बादर त्रसकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुण, उनसे प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त असंखेयगुण, उनसे बादर निगोद पर्याप्तक असंखेयगुण, उनसे पृथ्वी-अप-वायुकाय पर्याप्तक क्रमशः असंख्यातगुण, उनसे बादर तेजस्काय अपर्याप्तक असंखेयगुण, उनसे प्रत्येकशरीर बादर वनस्पति अपर्याप्त असंखेयगुण, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्तक असंखेयगुण, उनसे बादर पृथ्वी-अप-वायुकाय अपर्याप्तक असंखेयगुण, उनसे बादर वनस्पति पर्याप्तक अनन्तगुण, उनसे बादर पर्याप्तक विशेषाधिक, उनसे बादर वनस्पति अपर्याप्त असंख्यगुण, उनसे बादर अपर्याप्त विशेषाधिक, उनसे बादर पर्याप्त विशेषाधिक हैं ।
(स्पष्टता के लिए और पुनरावृत्ति को टालने के लिए प्रस्तुत पाठ का अर्थ विवेचनयुक्त दिया जाता है ।) प्रस्तुत पाठ में सूक्ष्मों और बादरों के समुदित पांच अल्पबहुत्व कहे गये हैं।