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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
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जानना । हे भगवन् ! लवणसमुद्र में रह कर शिखा से बाहर विचरण करने वाले बाह्य लावणिक चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहां हैं ? गौतम ! लवणसमुद्र की पूर्वीय वेदिकान्त से लवणसमुद्र के पश्चिम में १२००० योजन जाने पर हैं, जो धातकीखण्डद्वीपान्त की तरफ ८८११ योजन
और ४०/९५ योजन जलांत से ऊपर हैं और लवणसमुद्रान्त की तरफ जलांत से दो कोस ऊँचे हैं । शेष कथन पूर्ववत् जानना ।
हे भगवन् ! बाह्य लावणिक सूर्यों के सूर्यद्वीप कहां हैं ? गौतम ! लवणसमुद्र की पश्चिमी वेदिकान्त से लवणसमुद्र के पूर्व में १२००० योजन जाने पर हैं, शेष सब वक्तव्यता राजधानी पर्यन्त पूर्ववत् कहना ।
[२११] हे भगवन् ! धातकीखण्डद्वीप के चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहां हैं । गौतम ! धातकीखण्डद्वीप की पूर्वी वेदिकान्त से कालोदधिसमुद्र में बारह हजार योजन आगे जाने पर धातकीखण्ड के चन्द्रों के चन्द्रद्वीप हैं । (धातकीखण्ड में १२ चन्द्र हैं ।) वे सब ओर से जलांत से दो कोस ऊँचे हैं । ये बारह हजार योजन के लम्बे-चौड़े हैं । इनकी परिधि, भूमिभाग, प्रासादावतंसक, मणिपीठिका, सपरिवार सिंहासन, नाम-प्रयोजन, राजधानियां आदि पूर्ववत् जानना चाहिए । वे राजधानियां अपने-अपने द्वीपों से पूर्वदिशा में अन्य धातकीखण्डद्वीप में हैं । शेष सब पूर्ववत् ।।
इसी प्रकार धातकीखण्ड के सूर्यद्वीपों के विषय में भी कहना चाहिए । विशेषता यह है कि धातकीखण्डद्वीप की पश्चिमी वेदिकान्त से कालोदधिसमुद्र में बारह हजार योजन जाने पर ये द्वीप आते हैं । इन सूर्यों की राजधानियां सूर्यद्वीपों के पश्चिम में असंख्य द्वीपसमुद्रों के बाद अन्य धातकीखण्डद्वीप में हैं, आदि सब वक्तव्यता पूर्ववत् जाननी चाहिए ।
[२१२] हे भगवन् ! कालोदधिसमुद्रगत चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहां हैं ? हे गौतम ! कालोदधिसमुद्र के पूर्वीय वेदिकांत से कालोदधिसमुद्र के पश्चिम में १२००० योजन आगे जाने पर हैं । ये सब ओर से जलांत से दो कोस ऊंचे हैं । शेष सब पूर्ववत् । इसी प्रकार कालोदधिसमुद्र के सूर्यद्वीपों के संबंध में भी जानना । विशेषता यह है कि कालोदधिसमुद्र के पूर्व में १२००० योजन आगे पर हैं । इसी प्रकार पुष्करवरद्वीप के पूर्वो वेदिकान्त से पुष्करवरसमुद्र में १२००० योजन आगे जाने पर चन्द्रद्वीप हैं, इत्यादि पूर्ववत् । इसीतरह से पुष्करवरद्वीपगत सूर्यों के सूर्यद्वीप पुष्करवरद्वीप के पश्चिमी वेदिकान्त से पुष्करवरसमुद्र में १२००० योजन आगे जाने पर स्थित हैं, आदि पूर्ववत् । पुष्करवरसमुद्रगत सूर्यों के सूर्यद्वीप पुष्करवरसमुद्र के पूर्वी वेदिकान्त से पश्चिमदिशा में बारह हजार योजन आगे जाने पर स्थित हैं।
__इसी प्रकार शेष द्वीपगत चन्द्रों की राजधानियां चन्द्रद्वीपगत पूर्वदिशा की वेदिकान्त से अनन्तर समुद्र में १२००० योजन जाने पर कहना । शेष द्वीपगत सूर्यों के सूर्यद्वीप अपने द्वीपगत पश्चिम वेदिकान्त से अनन्तर समुद्र में हैं । शेष समुद्रगत चन्द्रों के चन्द्रद्वीप अपनेअपने समुद्र के पूर्व वेदिकान्त से पश्चिमदिशा में १२००० योजन के बाद हैं । सूर्यों के सूर्यद्वीप अपने-अपने समुद्र के पश्चिमी वेदिकांत से पूर्वदिशा में १२००० योजन के बाद हैं।
[२१३] द्वीप और समुद्रों में से कितनेक द्वीपों और समुद्रों के नाम इस प्रकार हैं[२१४] जम्बूद्वीप, लवणसमुद्र, धातकीखण्डद्वीप, कालोदसमुद्र, पुष्करवरद्वीप,