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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
गौतम ! जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के पश्चिम में ४२००० योजन आगे जाने पर है । उसका प्रमाण गोस्तूप की तरह है । विशेषता यह है कि यह सर्वात्मना रत्नमय है, स्वच्छ है । वह एक पद्ममवरवेदिका और एक वनखंड से घिरा हुआ है यावत् उस शंख आवासपर्वत पर छोटी छोटी वावड़ियां आदि हैं, जिनमें बहुत से कमलादि हैं । जो शंख की आभावाले, शंख के रंगवाले हैं और शंख की आकृति वाले हैं तथा वहां शंख नामक महर्द्धिक देव रहता है । वह शंख नामक राजधानी का आधिपत्य करता हुआ विचरता है । शंख नामक राजधानी शंख आवासपर्वत के पश्चिम में है, आदि कहना । हे भगवन् ! मनःशिलक वेलंधर नागराज का दकसीम नामक आवासपर्वत कहां है ? हे गौतम ! जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत की उत्तरदिशा में लवणसमुद्र में ४२००० योजन आगे जाने पर है । यावत् यह दकसीम क्यों कहा जाता है ? गौतम ! इस दकसीम आवासपर्वत से शीता-शीतोदा महानदियों का प्रवाह यहां आकर प्रतिहत हो जाता है । इसलिए यह उदक की सीमा करने वाला होने से “दकसीम" कहलाता है । यह शाश्वत है । यहां मनःशिलक नाम का महर्द्धिक देव रहता है यावत् वह ४००० सामानिक देवों आदि का आधिपत्य करता हुआ विचरता है । हे भगवन् ! मनःशिलक वेलंधर नागराज की मनःशिला राजधानी कहां है ? गौतम ! दकसीम आवासपर्वत के उत्तर में तिरछी दिशा में असंख्यात द्वीप-समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है । उसका प्रमाण आदि विजया राजधानी के तुल्य कहना यावत् वहां मनःशिलक नामक देव महर्द्धिक और एक पल्योपम की स्थिति वाला रहता है ।
[२०६] वेलंधर नागराजों के आवासपर्वत क्रमशः कनकमय, अंकरत्नमय, रजतमय और स्फटिकमय हैं | अनुवेलंधर नागराजों के पर्वत रत्नमय ही हैं ।
[२०७] हे भगवन् ! अनुवेलंधर नागराज कितने हैं ? गौतम ! चार, कर्कोटक, कर्दम, कैलाश और अरुणप्रभ । हे भगवन् ! इन चार अनुवेलंधर नागराजों के कितने आवासपर्वत हैं ? गौतम ! चार, कर्कोटक, कर्दम, कैलाश और अरुणप्रभ । हे भगवन् ! कर्कोटक अनुवेलंधर नागराज का कर्कोटक नाम का आवासपर्वत कहां है ? गौतम ! जंबूद्वीप के मेरुपर्वत के उत्तर-पूर्व में लवणसमुद्र में ४२००० योजन आगे जाने पर है जो १७२१ योजन ऊंचा है आदि । कर्कोटक नाम देने का कारण यह है कि यहां की बावड़ियों आदि में जो उत्पल कमल आदि हैं, वे कर्कोटक के आकार-प्रकार और वर्ण के हैं । शेष पूर्ववत् यावत् उसकी राजधानी कर्कोटक पर्वत के उत्तर-पूर्व में तिरछे असंख्यात द्वीप-समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है ।
कर्दम नामक आवासपर्वत में भी वर्णन पूर्ववत् है । विशेषता यह है कि मेरुपर्वत के दक्षिण-पूर्व में लवणसमुद्र में ४२००० योजन जाने पर यह कर्दम पर्वत स्थित है । विद्युत्प्रभा इसकी राजधानी है जो इस आवासपर्वत से दक्षिण-पूर्व में असंख्यात द्वीप-समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है, आदि विजया राजधानी की तरह जानना । कैलाश नामक आवासपर्वत में वर्णन पूर्ववत् है । विशेषता यह है कि यह मेरु से दक्षिण-पश्चिम में है । इसकी राजधानी कैलाशा है और वह कैलाशपर्वत के दक्षिण-पश्चिम में असंख्यात द्वीप-समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है । अरुणप्रभ नामक आवासपर्वत मेरुपर्वत के उत्तर-पश्चिम में है । राजधानी भी अरुणप्रभ आवासपर्वत के वायव्यकोण में असंख्य द्वीप-समुद्रों के बाद अन्य