SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती-१३/-/४/५८० हैं ? (गौतम !) अनन्त प्रदेश । अद्धासमय कदाचित् अवगाढ होते हैं कदाचित् नहीं होते । यदि अवगाढ होते हैं तो अनन्त अद्धासमय अवगाढ होते हैं । __ भगवन् ! जहाँ अधर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? (गौतम !) एक प्रदेश । (वहाँ) अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? एक भी नहीं । शेष धर्मास्तिकाय के समान । भगवन् ! जहाँ आकाशास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? गौतम ! वहाँ धर्मास्तिकाय के प्रदेश कदाचित् अवगाढ होते हैं कदाचित् नहीं होते । यदि अवगाढ होते हैं तो एक प्रदेश अवगाढ होता है । इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय के प्रदेशों के विषय में भी जानना। आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? एक भी नहीं । (भगवन् ! वहाँ) जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? (गौतम ! वे) कदाचित अवगाढ होते हैं कदाचित नहीं होते । यदि अवगाढ होते हैं तो अनन्त प्रदेश अवगाढ होते हैं । इसी प्रकार यावत् अद्धासमय तक कहना। भगवन् ! जहाँ जीवास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? एक प्रदेश । इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय के प्रदेशों में जानना | जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? अनन्त प्रदेश । शेष कथन धर्मास्तिकाय के समान समझना। , भगवन् ! जहाँ पुद्गलास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ हैं ? (गौतम !) जीवास्तिकाय के प्रदेशों के समान कथन करना । भगवन् ! जहाँ पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेश अवगाढ होते हैं, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? कदाचित् एक या कदाचित् दो प्रदेश अवगाढ होते हैं । इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय तथा आकाशास्तिकाय के प्रदेश के विषय में कहना । शेष कथन धर्मास्तिकाय के समान । भगवन् ! जहाँ पुद्गलास्तिकाय के तीन प्रदेश अवगाढ होते हैं, वहां धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? (गौतम !) कदाचित् एक, कदाचित् दो या कदाचित् तीन प्रदेश । इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय तथा आकाशास्तिकाय के विषय में भी कहना । शेष तीनों के विषय के, दो पुद्गलप्रदेशों के समान तीन पुद्गलप्रदेशों के विषय में भी कहना।। आदि के तीन अस्तिकायों के साथ एक-एक प्रदेश बढ़ाना चाहिए । शेष के विषय में दो पुद्गल प्रदेसों के समान यावत् दस प्रदेशों तक कहना । जहाँ पुद्गलास्तिकाय के संख्यात प्रदेश अवगाढ होते हैं, वहाँ धर्मास्तिकाय के कदाचित् एक, दो, तीन, यावत् कदाचित् दस प्रदेश यावत् कदाचित् संख्यात प्रदेश अवगाढ होते हैं । जहाँ पुद्गलास्तिकाय के असंख्यात प्रदेश अवगाढ होते हैं, वहां धर्मास्तिकाय के कदाचित् एक प्रदेश यावत् कदाचित् संख्यात प्रदेश और कदाचित् असंख्यात प्रदेश अवगाढ होते हैं । पुद्गलास्तिकाय के समान अनन्त प्रदेशों के विषय में भी कहना। भगवन् ! जहाँ एक अद्धासमय अवगाढ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? एक प्रदेश अवगाढ होता है । (भगवन् ! वहाँ) अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? एक प्रदेश । (भगवन् ! वहाँ) आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेश अगाढ होते हैं ? एक प्रदेश । (भगवन् ! वहाँ) जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? अनन्त
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy