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भगवती - २५/-/४/८८१
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भगवन् ! धर्मास्तिकाय अवगाढ़ है या अनवगाढ़ है ? गौतम ! वह अवगाढ़ है । भगवन् ! यदि वह अवगाढ़ है, तो संख्यात- प्रदेशावगाढ़ है, असंख्यात प्रदेशावगाढ़ है अथवा अनन्तप्रदेशावगाढ़ है ? गौतम ! वह असंख्यात प्रदेशावगाढ़ है । भगवन् ! यदि वह असंख्यात - प्रदेशावगाढ़ है, तो क्या कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह कृतयुग्मप्रदेशावगाढ़ है । इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और अद्धासमय के विषय में भी यही वक्तव्यता है ।
भगवन् ! यह रत्नप्रभापृथ्वी अवगाढ़ है या अनवगाढ़ है । गौतम ! धर्मास्तिकाय समान जानो । इसी प्रकार अधः सप्तमपृथ्वी तक जानना चाहिए । सौधर्म देवलोक यावत् ईषत्प्राभारा पृथ्वी तक के विषय में यहीं समझना चाहिए ।
[८८२ ] भगवन् ! (एक) जीव द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह कल्योजरूप है । इसी प्रकार (एक) नैरयिक यावत् सिद्ध- पर्यन्त जानना ।
भगवन् ! ( अनेक) जीव द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वे ओघादेश से कृतयुग्म हैं । विधानादेश से कल्योजरूप हैं । भगवन् ! ( अनेक) नैरयिक द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! ओघोदेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज हैं, विधानादेश से वे कल्योज हैं । इसी प्रकार सिद्धपर्यन्त जानना ।
भगवन् ! (एक) जीव प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! जीव प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है | शरीरप्रदेशों की अपेक्षा जीव कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् यो भी होता है । इसी प्रकार याघत् वैमानिक तक जानना । भगवन् ! सिद्ध भगवान् प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि पृच्छा । गौतम ! वह कृतयुग्म हैं ।
भगवन् ! जीव प्रदेशों की अपेक्षा क्या कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! (अनेक) जीव आत्मप्रदेशों की अपेक्षा ओघादेश और विधानादेश से भी कृतयुग्म हैं । शरीरप्रदेशों की अपेक्षा जीव ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज हैं । विधानादेश से वे कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्योज भी हैं । इसी प्रकार नैरयिक यावत् वैमानिकों तक जानना । भगवन् ! ( अनेक) सिद्ध आत्मप्रदेशों की अपेक्षा से कृतयुग्म हैं ? गौतम ! वे ओघादेश से और विधानादेश से भी कृतयुग्म हैं । त्र्योज, द्वापरयुग्म या कल्योज नहीं हैं । [८८३] भगवन् ! जीव कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म- यावत् कदाचित् कल्योज- प्रदेशावगाढ़ होता है । इसी प्रकार (एक) सिद्धपर्यन्त जानना | भगवन् ! (बहुत) जीव कृतयुग्म- प्रदेशावगाढ़ हैं ? गौतम ! वे ओघादेश से कृतयुग्मप्रदेशावगाढ़ हैं । विधानादेश से वे कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ यावत् कल्योज- प्रदेशावगाढ़ हैं । भगवन् ! ( अनेक) नैरयिक कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ हैं ? गौतम ! वे ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ यावत् कदाचित् कल्योज- प्रदेशावगाढ़ हैं । विधानादेश से कृतयुग्मप्रदेशावगाढ़ हैं, यवत् कल्योज- प्रदेशावगाढ़ भी हैं । एकेन्द्रिय जीवों और सिद्धों को छोड़ कर शेष सबी जीव इसी प्रकार नैरयिक के समान कदाचित् कृतयुग्म- प्रदेशावगाढ़ आदि होते हैं । सिद्धों और एकेन्द्रिय जीवों का कथन सामान्य जीवों के समान है ।
भगवन् ! (एक) जीव कृतयुग्म समय की स्थिति वाला है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह कृतयुग्म - समय की स्थिति वाला है, किन्तु त्र्योज-समय, द्वापरयुग्मसमय अथवा कल्योज