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भगवती-२५/-/३/८७३
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[८७३] भगवन् ! परिमण्डल-संस्थान कितने प्रदेशों वाला इत्यादि प्रश्न ? गौतम ! परिमण्डलसंस्थान दो प्रकार का धन-परिमण्डल और प्रतर-परिमण्डल । प्रतर-परिमण्डल, जघन्य बीस प्रदेश वाला और बीस आकाशप्रदेशों में उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है । घन-परिमण्डल जघन्य चालीस प्रदेशों वाला और चालीस आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ है ।
भगवन् ! परिमण्डल-संस्थान द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म है, त्र्योज है, द्वापरयुग्म है अथवा कल्योज है ? गौतम ! वह कल्योज है । भगवन् ! वृत्त-संस्थान द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार आयत-संस्थान पर्यन्त जानना ।
भगवन् ! (अनेक) परिमण्डल-संस्थान द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म हैं, त्र्योज हैं या कल्योज हैं ? गौतम ! ओघादेश से-कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज होते हैं । विधानादेश से-कल्योज हैं । इसी प्रकार (अनेक) आयत-संस्थान तक जानना चाहिए ।
भगवन् ! परिमण्डल-संस्थान प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म है, यावत् कदाचित् कल्योज है । इसी प्रकार आयत-संस्थान पर्यन्त जानना चाहिए । भगवन् ! (अनेक) परिमण्डल-संस्थान प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न | गौतम ! ओघादेश से-वे कदाचित् कृतयुग्म हैं, यावत् कदाचित् कल्योज होते हैं । विधानादेश से वे कृतयुग्म भी हैं, त्र्योज भी हैं, द्वापरयुग्म भी हैं और कल्योज भी हैं । इसी प्रकार (अनेक) आयत-संस्थान तक जानना चाहिए ।
भगवन् ! परिमण्डल-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ है, यावत् अथवा कल्योज-प्रदेशावगाढ़ है ? गौतम ! वह कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ है । भगवन् ! वृत्त-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ है ? गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ है, कदाचित् त्र्योज-प्रदेशावगाढ़ है और कदाति कल्योज-प्रदेशावगाढ़ है, किन्तु द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं होता । भगवन् ! त्र्यस्त्र-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़, कदाचित् त्र्योज-प्रदेशावगाढ़ और कदाचित् द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होता है, किन्तु कल्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं होता । भगवन् ! चतुरस्त्र-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ है ? गौतम ! वृत्त-संस्थान अनुसार चतुरस्त्र-संस्थान जानो | भगवन् ! आयत-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ है ? गौतम! वह कदाचित् कृतयुग्म- यावत् कदाचित् कल्योज-प्रदेशावगाढ़ होता है ।
भगवन् ! (अनेक) परिमण्डल-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होते हैं, गौतम ! वे ओघादेश से तथा विधानादेश से भी कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होते हैं । भगवन् ! (अनेक) वृत्त-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होते हैं ? गौतम ! वे ओघादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होते हैं, विधानादेश से वे कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ भी हैं, त्र्योज-प्रदेशावगाढ़ भी हैं, किन्तु द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, हाँ, कल्योज-प्रदेशावगाढ़ हैं । भगवन् ! (अनेक) त्र्यस्त्र-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत् । चतुरस्त्र-संस्थानों के विषय में वृत्त-संस्थानों के समान कहना । भगवन् ! (अनेक) आयत-संस्थान कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होते हैं ? । गौतम ! वे ओघादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ होते हैं किन्तु न तो त्र्योज-प्रदेशावगाढ़ होते हैं, विधानादेश से वे कृतयुग्मयावत् कल्योज-प्रदेशावगाढ़ भी होते हैं ।
भगवन् ! परिमण्डल-संस्थान कृतयुग्म-समय की स्थिति वाला है, या यावत् कल्योज