SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती-२४/-/२३/८५९ २४९ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! तिर्यञ्चों और मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं, यावत्वे संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, असंज्ञी पंचेन्द्रिय-से नहीं । भगवन् ! यदि वे संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या वे संख्यातवर्ष की आयु वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों से आकर उत्पन्न होते हैं, अथवा असंख्यात-वर्ष से ? गौतम ! वे संख्यातवर्ष की और असंख्यातवर्ष की आयु वाले से उत्पन्न होते हैं । भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक, कितने काल की स्थिति वाले ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! जघन्य पल्योपम के आठवें भाग की और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की । शेष असुरकुमार-उद्देशक के अनुसार जानना । विशेष यह है कि उसकी स्थिति जघन्य पल्योपम के आठवें भाग और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है । अनुबन्ध भी इसी प्रकार होता है । विशेष यह है कि काल की अपेक्षा से जघन्य दो आठवें भाग भाग और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक चार पल्योपम । यदि वह, जघन्य काल की स्थिति वाले ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न हो, तो जघन्य और उत्कृष्ट पल्योपम के आठवें भाग की स्थिति वाले ज्योतिष्कों में उत्पन्न होता है, इत्यादि कहना चाहिए । विशेष यह कि कालादेश (भिन्न) जानना चाहिए । यदि वह उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न हो, तो यही कहना चाहिए । विशेष यह है कि स्थिति जघन्य एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है । इसी प्रकार अनुबन्ध भी समझना, कालादेश से-जघन्य दो लाख वर्ष अधिक दो पल्योपम और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक चार पल्योपम । यदि वह (संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्च) स्वयं जघन्यकाल की स्थिति वाला हो और ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न हो, तो जघन्य और उत्कृष्ट पल्योपम के आठवें भाग की स्थिति वाले ज्योतिष्कों में उत्पन्न होता है । भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! इस विषय में पूर्वोक्त वक्तव्यता जानना । विशेष यह कि अवगाहना जघन्य धनुषपृथक्त्व और उत्कृष्ट सातिरेक अठारह सौ धनुष की होती है । स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट पल्योपम के आठवें भाग की होती है । अनुबन्ध भी इसी प्रकार समझना । कालादेश से-जघन्य और उत्कृष्ट पल्योपम के दो आठवें भाग तक । जघन्यकाल की स्थिति वाले के लिए यह एक ही गमक होता है । यदि वह स्वयं उत्कृष्ट काल की स्थिति वाला हो और ज्योतिष्कों में उत्पन्न हो, तो औधिक गमक के समान वक्तव्यता जानना । विशेष यह कि स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की । अनुबन्ध भी इसी प्रकार जानना । इसी प्रकार अन्तिम तीन गमक जानने चाहिए । विशेष यह कि स्थिति और संवेध (भित्र) समझना। भगवन् ! यदि वह (ज्योतिष्क देव) संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यच से आकर उत्पन्न हो तो? यहाँ असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले संख्यात वर्ष की आय वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों के समान नौ ही गमक जानने चाहिए । विशेष यह कि ज्योतिष्क की स्थिति और संवेध भिन्न जानना चाहिए । यदि वे मनुष्यों से आकर उत्पन्न हों तो ? (गौतम !) पूर्वोक्त संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्च के समान जानना चाहिए । पूर्ववत् मनुष्यों के भेदों का उल्लेख करना चाहिए । भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी मनुष्य कितने काल की स्थिति वाले ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न होता है ? (गौतम !) ज्योतिष्कों में उत्पन्न होने वाले असंख्येय
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy