________________
९२
आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
निराकरण किया जाय ।
अव्यक्त अर्थ को व्यक्त करनेवाले दृष्टान्त चार प्रकार के हैं । यथा-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव विध्न-बाधा बताने वाले दृष्टान्त । द्रव्यादि से कार्य सिद्धि बतानेवाले दृष्टान्त । जिस दृष्टान्त से परमत को दूषित सिद्ध करके स्वमत को निर्दोष सिद्ध किया जाय । जिस दृष्टान्त से तत्काल उत्पन्न वस्तु का विनाश सिद्ध किया जाय ।
वस्तु के एक देश का प्रतिपादन करनेवाले दृष्टान्त चार प्रकार के हैं । यथा-सद्गुणों की स्तुति से गुणवान के गुणों की प्रशंसा करना । असत्कार्य में प्रवृत्त मुनि को दृष्टान्त द्वारा उपालम्भ देना । किसी जिज्ञासु का दृष्टान्त द्वारा प्रश्न पूछना । एक व्यक्ति का उदाहरण देकर दूसरे को प्रतिबोध देना ।
सदोष सिद्धान्त का प्रतिपादन करनेवाले दृष्टान्त चार प्रकार के हैं । यथा-जिस दृष्टान्त से पाप कार्य करने का संकल्प पैदा हो । जिस दृष्टान्त “जैसे को तैसा करना" सिखाया जाय । परमत को दूषित सिद्ध करने के लिए जो दृष्टान्त दिया जाय, उसी दृष्टान्त से स्वमत भी दूषित सिद्ध हो जाय । जिस दृष्टान्त में दुर्वचनों का या अशुद्ध वाक्यों का प्रयोग किया
जाय ।
वादी के सिद्धान्त का निराकरण करनेवाले दृष्टान्त चार प्रकार के हैं । यथा-वादी जिस दृष्टान्त से अपने पक्ष की स्थापना करे, प्रतिवादी भी उसी दृष्टान्त से अपने पक्ष की स्थापना करे । वादी दृष्टान्त से जिस वस्तु को सिद्ध करे प्रतिवादी उस दृष्टान्त से भिन्न वस्तु सिद्ध करे । वादी जैसा दृष्टान्त कहै प्रतिवादी को भी वैसा ही दृष्टान्त देने के लिए कहे । प्रश्नकर्ता जिस दृष्टान्त का प्रयोग करता हैं उत्तरदाता भी उसी दृष्टान्त का प्रयोग करता हैं ।
हेतु चार प्रकार के हैं । यथा-वादी का समय बितानेवाला हेतु । वादी द्वारी स्थापित हेतु के सदृश हेतु की स्थापना करनेवाला हेतु । शब्द छल से दूसरे को व्यामोह पैदा करनेवाला हेतु । धूर्त द्वारा अपहृत वस्तु को पुनः प्राप्त कर सके ऐसा हेतु ।
हेतु चार प्रकार के हैं । यथा-जो हेतु आत्मा द्वारा जाना जाय और जो हेतु इन्द्रियों द्वारा जाना जाय । जिसके देखने से व्याप्ति का बोध हो ऐसा हेतु । यथा-धुवां देखने से अग्नि
और धुएँ की व्याप्ति का स्मरण होना । उपमा द्वारा समानता का बोध करानेवाला हेतु । आप्तपुरुष कथित वचन ।
हेतु चार प्रकार के हैं । यथा-धूम के अस्तित्व से अग्नि का अस्तित्व सिद्ध करनेवाला हेतु । अग्नि के अस्तित्व से विरोधी शीत का नास्तित्व सिद्ध करनेवाला हेतु । अग्नि के अभाव में शीत का सद्भाव सिद्ध करनेवाला हेतु | वृक्ष के अभाव में शाखा का अभाव सिद्ध करनेवाला हेतु ।
[३६१] गणित चार प्रकार का हैं । यथा-पाहुड़ों का गणित (पाटि गणित) । व्यवहार गणित-तोल-माप आदि । लम्बाई नापने का गणित । राशि मापने का गणित ।
अधोलोक में अंधकार करनेवाली चार वस्तुयें हैं । यथा-नरकावास, नैरयिक, पाप कर्म और अशुभ पुद्गल ।
तिर्यक्लोक में उद्योत करनेवाले चार हैं । चन्द्र, सूर्य, मणि और ज्योति ।। ऊर्ध्वलोक में उद्योत करनेवाले चार हैं । यथा-देव, देवियाँ, विमान और आभरण ।