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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
[१५७] तीन समुद्र प्रकृति से उदकरस वाले कहे गये हैं, यथा-कालोदधि, पुष्करोदधि, और स्वयंभूरमण । तीन समुद्रों में मच्छ कच्छ आदि जलचर विशेष रूप से कहे गये हैं, यथालवण, कालोदधि और स्वयंभूरमण ।
[१५८] शीलरहित, व्रतरहित,गुणरहित मर्यादा रहित, प्रत्याख्यान पौषध-उपवास आदि नहीं करनेवाले तीन प्रकार के व्यक्ति मृत्यु के समय मर कर नीचे सातवीं नरक के अप्रतिष्ठान नामक नरकावास में नारक रूप से उत्पन्न होते हैं, यथा-चक्रवर्ती आदि राजा, माण्डलिक राजा (शेष सामान्य राजा) और महारम्भ करनेवाले कुटुम्बी ।
सुशील, सुव्रती, सद्गुणी मर्यादावाले, प्रत्याख्यान-पौषध उपवास करनेवाले तीन प्रकार के व्यक्ति मृत्यु के समय मर कर सर्वार्थसिद्ध महाविमान में देव रूप से उत्पन्न होते हैं, यथाकाम भोगों का त्याग करनेवाले राजा, कामभोग के त्यागी सेनापति, प्रशास्ता-धर्माचार्य ।
[१५९] ब्रह्मलोकऔर लान्तक में विमान तीन वर्ण वाले कहे गये हैं । यथा-काले, नीले और लाल । आनत, प्राणत, आरण और अच्युत कल्प में देवों के भवधारणीय शरीरों की ऊंचाई तीन हाथ की कहीं गई हैं ।
[१६०] तीन प्रज्ञप्तियां नियत समय पर पढ़ी जाती हैं, यथा-चन्द्रप्रज्ञप्ति, सूर्यप्रज्ञप्ति और द्वीपसागरप्रज्ञप्ति ।
| स्थान-३-उद्देशक-२ [१६१] लोक तीन प्रकार के कहे गये है, नामलोक, स्थानपालोक और द्रव्यलोक । भाव लोक तीन प्रकार का कहे गये हैं, ज्ञानलोक, दर्शनलोक और चारित्रलोक । लोक तीन प्रकार के कहे गये हैं. यथा-ऊध्वलोक, अधोलोक और तिर्यग्लोक |
[१६२] असकुमारराज असुरेन्द्र चमर की तीन प्रकार की परिषद कही गई हैं, यथासमिता चण्डा और जाया । समिता आभ्यन्तर परिषद् हैं, चण्डा मध्यम परिषद् हे, जाया बाह्य परिषद् हैं । असुरकुमारराज असुरेन्द्र चमर के सामानिक देवों की तीन परिषद् है समिता आदि । इसी तरह त्रायस्त्रिंशकों की भी तीन परिषद् जानें ।
__ लोकपालों की तीन परिषद् हैं तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा । इसी तरह अग्रमहिषियों की भी परिषद् जाने । बलीन्द्र की भी इसी तरह तीन परिषद् समझनी चाहिये । अग्रमहिषी पर्यन्त इसी तरह परिषद् जाननी चाहिये ।
धरणेन्द्र की, उसके सामानिक और त्रायस्त्रिंशकों की तीन प्रकार की परिषद् कही गई हैं, यथा-समिता, चण्डा और जाया ।
इसके लोकपाल और अग्रमहिषियों की तीन परिषद् कही गई हैं, यथा-ईषा, त्रुटिता और दृढ़रथा | धरणेन्द्र की तरह शेष भवनवासी देवों की परिषद् जाननी चाहिए ।
पिशाच-राज, पिशाचेन्द्र काल की तीन परिषद् कही गई हैं यथा-ईषा, त्रुटिता और दृढस्था । इसी तरह सामानिक देव और अग्रमहिषियों की भी परिषद् जानें । इसी तरह-यावत्गीतरति और गीतयशा की भी परिषद् जाननी चाहिये ।।
ज्योतिष्कराज ज्योतिष्केन्द्र चन्द्र की तीन परिषद् कही गई हैं, यथा-तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा । इसी तरह सामानिक देव और अग्रमहिषियों की भी परिषद् जानें । इसी तरह सूर्य की