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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
करके अणगार प्रवज्या देंगे । यथा - पद्म, पद्मगुल्म, नलिन, नलिनगुल्म, पद्मध्वज, धनुध्वज, कनकरथ, भरत ।
[७३८] कृष्ण वासुदेव की आठ अग्रमहिषियां अर्हन्त अरिष्टनेमि के समीप मुण्डित होकर तथा गृहस्थ से निकलकर अणगार प्रवज्या स्वीकार करेंगी, सिद्ध होंगी यावत् सर्व दुःखों से मुक्त होंगी । यथा - पद्मावती, गोरी, गंधारी, लक्षणा, सुसीमा, जाम्बवती, सत्यभामा और रुक्मिणी ।
[ ७३९] वीर्यप्रवाद पूर्व की आठ वस्तु ओर आठ चूलिका वस्तु हैं ।
[७४०] गतियां आठ प्रकार की हैं, यथा-नरक गति, तिर्यंचगति, यावत् सिद्धगति, गुरुगति, प्रणोदनगति और प्राग्भारगति ।
[ ७४१] गंगा, सिन्धु रक्ता और रक्तवती देवियों के द्वीप आठ-आठ योजन के लम्बे चौड़े हैं ।
[ ७४२] उल्कामुख, मेघमुख, विद्युन्मुख और विद्युद्दंत अन्तर द्वीपों के द्वीप आठसौआठसौ योजन के लम्बे चौड़े हैं ।
[ ७४३] कालोद समुद्र की वलयाकार चौड़ाई आठ लाख योजन की है ।
[ ७४४ ] आभ्यन्तर पुष्करार्धद्वीप की वलयाकार चौड़ाई भी आठ लाख योजन की है । बाह्य पुष्करार्ध द्वीप की बलयाकार चौड़ाई भी इतनी ही है ।
[ ७४५] प्रत्येक चक्रवर्ती के काकिणी रत्न आठ सुवर्ण प्रमाण होते हैं । काकिणी रत्न के ६ तले, १२ अस्त्रि आठ कर्णिकायें होती हैं । काकिणी रत्न का संस्थान एरण के समान होता है ।
[ ७४६ ] मगध का योजन आठ हजार धनुष का निश्चित है ।
[ ७४७] जम्बूद्वीप में सुदर्शन वृक्ष आठ योजन का ऊंचा है, मध्य भाग में आठ योजन का चौड़ा है, और सर्व परिमाण कुछ अधिक आठ योजन का है । कूट शाल्मली वृक्ष का परिमाण भी इसी प्रकार है ।
[७४८] तमित्रा गुफा की ऊंचाई आठ योजन की है । खण्डप्रपात गुफा की ऊंचाई भी इसी प्रकार आठ योजन की है ।
[ ७४९] जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पूर्व में सीता महानदी के दोनों किनारों पर आठ वक्षस्कार पर्वत हैं, यथा - चित्रकूट, पद्मकूट, नलिनीकूट, एकशेलकूट, त्रिकूट, वैश्रमणकूट, अंजनकूट, मातंजन कूट । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के किनारों पर आठ वक्षस्कार पर्वत हैं । यथा - अंकावती, पद्मावती, आशीविष, सुखावह, चन्द्रपर्वत, सूर्यपर्वत, नागपर्वत, देव पर्वत ।
जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पूर्व में सीता महानदी के उत्तरी किनारे पर आठ चक्रवर्ती विजय हैं, यथा- कच्छ, सुकच्छ, महाकच्छ, कच्छ्गावती, आवर्त, यावत्, पुष्कलावती विजय । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में आठ चक्रवर्ती विजय हैं, यथावत्स, सुवत्स यावत्- मंगलावती । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ चक्रवर्ती विजय हैं, पद्म यावत् सलिलावती । जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में शीतोदा के उत्तर में आठ चक्रवर्ती विजय हैं, यथा-वप्रा, सुवप्रा, यावत् गंधिलावती ।