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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
असमारंभ सूत्र है ।
[६७२] प्रश्न-हे भगवन् ! अलसी, कुसुभ, कोद्रव, कांग, रल, सण, सरसों और मूले के बीज । इन धान्यों को कोठे में, पाले में यावत् ढांककर रखे तो उन धान्यों की योनि कितने काल तक सचित्त रहती है ? हे गौतम ? जघन्य अन्तमुहूर्त, उत्कृष्ट-सात संवत्सर । पश्चात् योनि म्लान हो जाती है यावत्-योनि नष्ट हो जाती है ।
[६७३] बादरअप्कायिक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति सातहजार वर्ष की कही गई है ।
तीसरी वालुका प्रभा में नैरयिकों की उत्कृष्ट स्थिति सात सागरोपम की कही गई है । चौथी पंक प्रभा में नैरयिकों की जघन्य स्थिति सात सागरोपम की कही गई है ।।
[६७४] शक्रेन्द्र के वरुण लोकपाल की सात अग्रमहिषियां हैं । ईशानेन्द्र के सोम लोकपाल की सात अग्रमहिषियां है । ईशानेन्द्र के यम लोकपाल की सात अग्रमहिषियां है ।
[६७५] ईशानेन्द्र के आभ्यन्तर परिषद् के देवों की स्थिति सात पल्योपम की है । शकेन्द्र के अग्रमहिषी देवियों की स्थिति सात पल्योपम की है । सौधर्म कल्प में परिगृहिता देवियों की उत्कृष्ट स्थिति सात पल्योपम की है ।
[६७६] सारस्वत लोकान्तिक देव के सात देवों का परिवार है । आदित्य लोकान्तिक देव के सात सौ देवों का परिवार है । गर्दतोय लोकान्तिक देव के सात देवों का परिवार है । तुषित लोकान्तिक देव के सात हजार देवों का परिवार है ।
[६७७] सनत्कुमार कल्प में देवताओं की उत्कृष्ट स्थिति सात सागरोपम की है । महेन्द्र कल्प में देवताओं की उत्कृष्ट स्थिति कुछ अधिक सात सागरोपम की है, ब्रह्मलोक कल्प में देवताओं की जघन्य स्थिति सात सागरोपम की है ।
[६७८] ब्रह्मलोक और लांतक कल्प में विमानों की ऊंचाई सात सौ योजन है ।
[६७९] भवनवासी देवों के भवधारणीय शरीरों की ऊंचाई सात हाथ की है । इसी प्रकार व्यन्तर देवों की, ज्योतिषी देवों की, सौधर्म और ईशान कल्प में देवों के भवधारणीय शरीरों की ऊंचाई सात हाथ की है ।
[६८०] नन्दीश्वर द्वीप में सात द्वीप हैं । यथा- जम्बूद्वीप, धातकीखण्डद्वीप, पुष्करवरद्वीप, वरुणवरद्वीप, क्षीरवरद्वीप, धृतवर द्वीप और क्षोदवर द्वीप ।
नन्दीश्वर द्वीप में सात समुद्र हैं । यथा- लवण समुद्र, कालोद समुद्र, पुष्करोद समुद्र, करुणोद समुद्र, खीरोद समुद्र, धृतोद समुद्र, और क्षोदोद समुद्र ।
[६८१] सात प्रकार की श्रेणियाँ कही गई हैं । यथा-ऋजु आयता । एकतः वक्रा, द्विधावक्रा, एकतः खा, द्विधा खा, चक्रवाला और अर्धचक्रवाला ।
[६८२] चमर असुरेन्द्र के सात सेनायें हैं, और सात सेनापति हैं । यथा-पैदल सेना, अश्व सेना, हस्तिसेना, महिष सेना, रथ सेना, नट सेना, गंधर्व सेना । द्रुम-पैदल सेनापति है । शेष पांचवे स्थानक के समान यावत् किन्नर-रथसेना का सेनापति है । रिष्ट-नटसेना का सेनापति है और गीतरती-गंधर्व सेना का सेनापति है ।
बलि वैरोचनेन्द्र के सात सेनायें हैं और सात सेनापति हैं । यथा-पैदल सेना यावत् गंधर्व सेना, महाद्रुम-पैदल सेना का सेनापति है । यावत् किंपुरुष-नट सेना का सेनापति, महारिष्ट नट सेना का सेनापति और गीतयश-गंधर्व सेना का सेनापति ।