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________________ आचार-१/९/४/३२८ ६७ [३२८] अथवा ब्राह्मण, श्रमण, गाँव के भिखारी या अतिथि, चाण्डाल, बिल्ली या कुत्ते को आगे मार्ग में बैठा देखकर [३२९] उनकी आजीविका विच्छेद न हो, तथा उनके मन में अप्रीति या अप्रतीति उत्पन्न न हो, इसे ध्यान में रखकर भगवान् धीरे-धीरे चलते थे किसी को जरा-सा भी त्रास न हो, इसलिए हिंसा न करते हुए आहार की गवेषणा करते थे ।। ३३०] भोजन सूखा हो, अथवा ठंडा हो, या पुराना उड़द हो, पुराने धान को ओदन हो या पुराना सत्तु हो, या जौ से बना हुआ आहार हो, पर्याप्त एवं अच्छे आहार के मिलने या न मिलने पर इन सब में संयमनिष्ठ भगवान् राग-द्वेष नहीं करते थे ।। [३३१] भगवान् महावीर उकडू आदि आसनों में स्थित होकर ध्यान करते थे । ऊँचे, नीचे और तिरछे लोक में स्थित द्रव्य-पर्याय-को ध्यान का विषय बनाते थे । वे असम्बद्ध बातों से दूर रहकर आत्म-समाधि में ही केन्द्रित रहते थे ।। [३३२] भगवान् क्रोधादि कषायों को शान्त करके, आसक्ति को त्याग कर, शब्द और रूप के प्रति अमूर्छित रहकर ध्यान करते थे । छद्मस्थ अवस्था में सदनुष्ठान में पराक्रम करते हुए उन्होंने एक बार भी प्रमाद नहीं किया ।।। [३३३] आत्म-शुद्धि के द्वारा भगवान् ने स्वयमेव आयतयोग को प्राप्त कर लिया और उनके कषाय उपशान्त हो गये । उन्होंने जीवन पर्यन्त माया से रहित तथा समिति-गुप्ति से युक्त होकर साधना की ।। [३३४] किसी प्रतिज्ञा से रहित ज्ञानी महामाहन भगवान् ने अनेक बार इस विधि का आचरण किया था, उनके द्वारा आचरित एवं उपदिष्ट विधि का अन्य साधक भी अपने आत्मविकास के लिए इसी प्रकार आचरण करते हैं ।।- ऐसा मैं कहता हूँ। अध्ययन-९-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण 卐श्रुतस्कन्ध-१-हिन्दी अनुवाद पूर्ण' -x --x--x ॐ श्रुतस्कन्ध-२॥ चूलिका-१ अध्ययन-१ पिडेषणा उद्देशक-१ [३३५] कोई भिक्षु या भिक्षुणी भिक्षा में आहार-प्राप्ति के उद्देश्य से गृहस्थ के घर में प्रविष्ट होकर यह जाने कि यह अशन, पान, खाद्य तथा स्वाद्य रसज आदि प्राणियों से, फफूंदी से, गेहूँ आदि के बीजों से, हरे अंकुर आदि से संसक्त है, मिश्रित है, सचित्त जल से गीला है तथा सचित मिट्टी से सना हुआ है; यदि इस प्रकार का अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य दाता
SR No.009779
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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