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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
मल-मूत्र विसर्जन कर सकते हैं ।
यदि इस प्रकार का स्थण्डिल जाने, जो निर्ग्रन्थ साधुओं को देने की प्रतिज्ञा से किसी ने बनाया है, बनवाया है या उधार लिया है, छप्पर छाया है या छत डाली है, उसे घिसकर सम किया है, कोमल, या चिकना बना दिया है, उसे लीपापोता है, संवारा है, धूप आदि से सन्धित किया है, अथवा अन्य भी इस प्रकार के आरम्भ समारम्भ करके उसे तैयार किया है तो उस प्रकार के स्थण्डिल पर वह मल-मूत्र विसर्जन न करे ।
[५००] साधु या साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने कि गृहपति या उसके पुत्र कन्द, मूल यावत् हरी जिसके अन्दर से बाहर ले जा रहे हैं, या बाहर से भीतर ले जा रहे हैं, अथवा ' उस प्रकार की किन्हीं सचित्त वस्तुओं को इधर-उधर कर रहे हैं, तो वहां साधु-साध्वी मलमूत्र विसर्जन न करे । ऐसे स्थण्डिल को जाने, जो कि स्कन्ध पर, चौकी पर, मचान पर, ऊपर की मंजिल पर, अटारी पर या महल पर या अन्य किसी विषम या ऊँचे स्थान पर, बना हुआ है तो वहां वह मल-मूत्र विसर्जन न करे ।
साधु या साध्वी ऐसे स्थण्डिल को जाने, जो कि सचित्त पृथ्वी पर, स्निग्ध पृथ्वी पर, सचित्त रज से लिप्त या संसृष्ट पृथ्वी पर सचित्त मिट्टी से बनाई हुई जगह पर, सचित्त शिला पर, सचित्त पत्थर के टुकड़ों पर, घुन लगे हुए काष्ठ पर या दीमक आदि द्वीन्द्रियादि जीवों से अधिष्ठित काष्ठ पर या मकड़ी के जालों से युक्त है तो वहां मल-मूत्र विसर्जन न करे । यदि ऐसे स्थण्डिल के सम्बन्ध में जाने कि यहाँ पर गृहस्थ या गृहस्थ के पुत्रों कंद, मूल यावत् बीज आदि इधर-उधर फेंके हैं या फेंक रहे हैं, अथवा फैंकेंगे, तो ऐसे अथवा इसी प्रकार के अन्य किसी दोषयुक्त स्थण्डिल में मल-मूत्रादि का त्याग न करे ।
साधु या साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल के सम्बन्ध में जाने कि यहाँ पर गृहस्थ या गृहस्थ के पुत्रों ने शाली, व्रीहि, मूँग, उड़द, तिल, कुलत्थ, जौ और ज्वार आदि बोए हुए हैं, बो रहे हैं या बोएँगे, ऐसे अथवा अन्य इसी प्रकार के बीज बोए हुए स्थण्डिल में मल-मूत्रादि का विसर्जन न करे । यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जहाँ कचरे के ढेर हों, भूमि फटी हुई या पोली हो, भूमि पर रेखाएँ पड़ी हुई हों, कीचड़ हो, ठूंठ अथवा खीले गाड़े हुए हों, किले की दीवार या प्राकार आदि हो, सम-विषम स्थान हों, ऐसे अथवा अन्य इसी प्रकार के ऊबड़-खाबड़ ड पर मल-मूत्र विसर्जन न करे ।
साधु या साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जहाँ मनुष्यों के भोजन पकाने के चूल्हे आदि सामान रखे हों, तथा भैंस, बैल, घोड़ा, मुर्गा या कुत्ता, लावक पक्षी, वत्तक, तीतर, कबूतर, कपिंजल आदि के आश्रय स्थान हों, ऐसे तथा अन्य इसी प्रकार के किसी पशु-पक्षी के आश्रय स्थान हों, तो इस प्रकार के स्थण्डिल में मल-मूत्र विसर्जन न करे ।
साधु या साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जहाँ फाँसी पर लटकने के स्थान हों, गृद्धपृष्ठमरण के स्थान हों, वृक्ष पर से गिरकर या पर्वत से झंपापात करके मरने के स्थान हों, विषभक्षण करने के या दौड़कर आग में गिरने के स्थान हों, ऐसे और अन्य इसी प्रकार के मृत्युदण्ड देने या आत्महत्या करने के स्थान वाले स्थण्डिल हों तो वहां मल-मूत्र विसर्जन न करे । यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जैसे कि बगीचा, उद्यान, वन, वनखण्ड, देवकुल, सभा या प्याऊ, अथवा अन्य इसी प्रकार का पवित्र या रमणीय स्थान हो, तो वहां वह मल-मूत्र