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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुतं - १५० १९ लोकबिंदुसार, उप्पायपुव्वस्स णं पुव्यस्स दस वत्थू चत्तारि यूलियावत्थू पन्नत्ता अग्गेणीयपुव्वस्स जं चोद्दस वत्यू दुबालस धूलियावत्यू पन्नत्ता वीरियपुव्वस्स णं अट्ठ वत्थू अट्ठ चूलियावत्थू पत्रत्ता अत्थिनत्थिप्पवायपुत्र्वस्स णं अड्डारस वत्थू दस चूलियावत्यू पत्रत्ता नाणप्पवायपुव्वयस्स णं बारस त्यू पत्ता सञ्चप्प - वायपुव्वस्स णं दोणि वत्थू पन्त्रत्ता आयष्यवायपुव्वस्स णं सोलस वत्थू पत्ता कम्मप्पवायपुव्यस्स णं तीसं वत्थू पत्रत्ता पचक्खाणपुव्वस्स णं वीसं वत्थू पत्रत्ता विज्जाणुप्पवायपुवस्स णं पनरस वत्थू पत्रत्ता अवंजपुव्वस्स णं बारस वत्यू पत्रत्ता पाणाउपुव्वस्त णं तेरस वत्यू पत्ता किरिया विसालपुव्वस्स णं तीसं बस्थू पन्नत्ता लोकबिंदुसारपुव्यस्स णं पणुवीसं वत्थू पत्ता । ५७-91-86-1 (१५१) दस चोद्दस अट्ठ अङ्गारसेव बारस दुवे य बत्यूजि सोलस तीसा बीसा पन्नरस अणुप्पवायम्मि (१५२) बारस इक्कारसमे बारसने तेरसेय वत्थूणि तीसा पुण तेरसमे चोइसमे पत्रवीसाओ (१५३) चत्तारि दुवालस अड्ड चैव दस चेव चुल्लवत्थूणि आइल्लाग चउन्हं सेसाणं चूलिया नत्थि ||२४|| -84 (१५४) सेतं पुव्वगए, से किं तं अनुओगे अनुओगे दुविहे पन्नत्ते तं जहा मूलपढमाणुओगे गडियांणुओगे य से किं तं मूलपढमाणुओगे मूलपढमाणुओगे णं अरहंताणं भगवंताणं पुव्वमबा देवलोगगमणाई आउंचवणाई जन्मणाणि य अभिसेया रायवरसिरीओ पव्वज्जाओं तथा य उग्गा केवलनाणुप्पयाओ तित्यपवत्तणाणि य सीसा गणा गणहरा अज्जा पवत्तिणीओ संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं जिण-मणपज्जव ओहिनाणी समत्तसुयनाणिणो य वाई अनुत्तरगई य उत्तरवेउविओ य मुणिणो जत्तिया सिद्धा सिद्धिपहो जह देसिओ जचिरं ध कालं पाओवगया जे जहिं जत्तियाई भत्ताई अंतगडे मुणिवरुत्तमे तम-रओघ - विष्यमुक्के मुक्खसुहमनुत्तरं च पत्ते एतेअन्ने य एवमाई भावा मूलपदभाणुओगे कहिया सेत्तं मूलपढमाणुओगे, से किं तं गंडियाणुओगे गंडियाणुओगे कुलगरगंडियाओ तित्ययरगंडियाओ चक्कयट्टिगंडियाओ दसारगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ गणधरगंडियाओ भहबाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ हरिवंसगडियाओ ओसप्पिणीगंडियाओ उस्सप्पिणीगंडियाओ चित्तंतरगंडियाओ अमर -नरतिरिय-निरय-गइ-गमण- विविह परियट्टणेसु एवमाइया ओ गंडियाओ आघविनंति सेत्तं मंडियाणुओगे सेत्तं अनुओगे, से किं तं धूलियाओ चूलियाओ - आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलिया सेसाई पुव्वाई अचूलियाई सेत्तं चूलियाओ दिट्ठियायस्स णं परित्ता वायणा संखेज्जाअनुओगदारा संखेज्जाबेढा संखेजासिलोगा संखेचा ओपडिवत्तीओ संखेज्जाओनित्तीओ संखेजाओ संग्रहणीओ से णं अंगट्टयाए बारसमे अंगे एगे सुपक्खंधे घोट्सपुव्वाई संखेजायत्यू संखेज्जा चुल्लवत्थू संखेज्जापाहुडा संखेखापाहुडपाहुडा संखेखाओपाहुडियाओ संखेजा ओपाहुड- पाहुडियाओ संखेज्जाई पयसहस्साई पयागेणं संखेज्जा अक्खरा अनंतागमा अनंतापजवा परिता तसा अनंताथावरा सासय-कडनिबद्ध-निकाइया जिनपत्रत्ता भावा आयविज्जंति पत्रविज्रंति- परुविनंति दंसिअंति निदंसिजति उवदंसिद्धंति से एवं आया एवं नाया एवं विष्णाया एवं चरण-करण-परूवणा आधविजति सेत्तं दिट्टियाए ।५७1-56 For Private And Personal Use Only ८२ 82 ||2311-83
SR No.009774
Book TitleAgam 44 Nandisuyam Chulikasutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages34
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 44, & agam_nandisutra
File Size1 MB
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