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जपणं" (३३) जहा संखम्मि पयं निहियं दुहओ वि विरायइ एवं बहुस्सुए मिख्यम्मो कित्ती तहा सुयं
||३४|| -16 (३४३) जहा से कंबोयाणं आइण्णो कथए सिया आसे जवेण परवेर एवं हवइ बहुस्सुए
॥३४२।। -18 (am) जहाइण्णसमारुटे सूरे दटपरक्कमे उमओ नंदिघोसेणं एवंहवइ बहुस्सुए
॥३४३॥ -17 (३४५) जहा करेणुपरिकिण्णे कुंजरेसविहायणे बलवंते अप्पडिहए एवं हवइ बहुस्सुए
||३४||-18 (३४६) जहा से तिक्खसिंगे जायखंघे विरायई वसहे जूहाहिबई एवं हवइबहुस्सुए
||३४५॥-19 (१००) जहा से तिक्खदाटे उदग्गे दुप्पहंसए सीहे मियाण पवरे एवं हवइ बहुस्सुए
॥३४६॥ -20 (३४८) जहा से वासुदेवेसंखचक्कगयाधरे अप्पडियवले जीहे एवं हवइ बहुस्सुए
॥३४७||-21 (३४५) जहा से चाउरंते चक्कयट्टी महिहिए घउदसरयणाहिवई एवंहवइ बहुस्सुए
॥३४८1-22 (३५०) जहा से सहस्सखे बझपाणी पुरंदरे सक्के देवाहिवई एवं हवइ बहुस्सुए
||३४९|| -29 (३५१) जहा से तिमिरविद्धंसे उटुंतिते दिवायो जलते इव तेएण एवंहवइ बहुस्सुए
॥३५०1-24 (३५२) जहा से उडुवई चंदे नखत्तपरिवारिए पडिपुण्णे पुण्णमासीए एवं हवइ बहुस्सुए
॥३५91-26 (३५३) जहा से समाइयाणं कोडागारे सुरक्खिए नाणाधनपडिपुन्ने एवं हवइ बहुस्सुए
॥३५२।। -26 (१५४) जहा सा दुमाण पवराजबू नाम सुदंसणा अणाढियस्स देवस्स एवं हवइ बहुस्सुए
||३५३।। -27 जहासा नईण पवरासलिलासागरंगमा सीया नीलवंतपवहा एवं हवइ बहुस्सुए
॥३५४11-28 (१५५) जहासे नगाण पयरे सुमहं मंदरेगिरी नाणोसहिपञ्जलिए एवं हवइ बहुस्सुए
॥३५५|| -20 (३५७) जहा से सयंभुरमणे उदही अक्खओदए नाणारयणपडिपुणे एवं हवइ बहुस्सुए
॥३५६|| -30 (१५८) समुहगंभीरसमा दुराप्तपा अचक्किया केणइ दुप्पहंसया
सुयस्स पुण्णा विउलस्स ताइणो खवित्तुकमंगइमुत्तमं गया ॥३५९|| -31 (३५२) तहासुयमहिडेजा उत्तमहगवेसए । जेणप्पाणं परं चेव सिद्धि संपाउणेगाप्ति-त्ति बेमि॥ ॥३५॥-32
कारसमं अापणं समाता
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