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माझ १६०
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(१६०) नामं ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे दंसण नाण घरिते अभिग्गहे भावणाओ य ( १६१) नामंमि सरिसनामो ठयणाए कट्ठकम्पमाईया दव्यंमि जो उ मविओ साइंमिसरीगं चैव जं च ( १५२ ) खेत्ते समाणदेसी कालंमि समाण उ एक्क कालसंभूओ पवपणि संघे गयरो लिंगेश्यहरणमुहपोत्ती
(१६३) दंसण नाणे चरणे तिग पण पण तिविह होइ उ चरिते दव्वाइओ अभिग्गह भायणमो अणिचाई (१६४) जावंत देवदत्ता गिही व अगिहीय तेसि दाहामि नो कम्पई गिहीणं दाहंति विसेसियं कप्पे
( १६५ ) पासंडीसु न वि एवं मीसामीसेसु होइ हु विभासा सपणे संजयाण उ विसरिसनामाणवि न कप्पे (१६६) नीसमनीसा व कडं ठयणासाहम्मियम्पि उ विमासा दव्वे मयतणुभतं न तं तु कुच्छा विवसेजा (१६७) पासंडियसमणाणं गिहिनिग्गंथाणं चैव उ विमासा जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्वं ( १६८) दस ससिहागा सायग पययणसाहम्मिया न लिंगेण लिंगेण उ साहम्मी नो पययण निहगा सव्वे (१६९ ) विसरिसदंसणजुत्ता पवयणसाहम्मिया न दंसणओ तित्यगरा पत्तेया नो पवयणदंससाहम्मी
( १७०) नाणचरिता एवं नायव्या होति पवयणेणं तु पयपणओ साहम्मी नाभिग्गहसावगा जइणो (११) साहम्मऽभिग्गहेणं नो पवयण निण्ह तित्थ पत्तेया - 148 एवं पवयणभावण एती सेसाण वोच्छामि
( १७२) लिंगाईहिवि एवं एक्केक्केणं तु उवरिमा नेया जेऽनने उवरिल्ला ते मोत्तु सेसए एवं (१७३) लिंगेण उ साहम्मी न दंसणे वीसुदंसि जइनिण्हा पत्तेयबुद्ध तित्यंकरा य बीयंमि मंगमि (१७४) लिंगेण उ नाभिग्गह अणभिग्गह वीसुऽभिग्गहा चेद जइसावग वियभंगे पत्तेयबुका य तित्ययरा
( १७५) एवं लिंगेण भावण दंसणनाणे य पढमभंगो उ जइसावग विसुनाणी एवं चिय बिइयमंगोऽ वि (१७६) दंसणचरणे पढमो सावग अइणो य बीयमंगो उ जणी विसरिसदेसी दंसे य अभिग्गहे वोच्छं (१७७) सावग जइ बीसऽभिग्गह पढमो बीओ य मावणा चैवं नाणेण वि नेजेवं एत्तो चरणेण वोच्छामि
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॥१४०॥-140
१४१-141
॥१४२॥-142
।। १४३॥-149
|| १४४||-144
॥१४५॥ 145
॥१४६॥ 146
।।१४७।। 147
11१४८|| 148
॥१४९॥-149
1194011-150
||949||-151
।।१५२।1-152
1194311-153
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