________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
६
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(६८) नेगंगिपरंपर चलधिर पारिसाडिसालंबवज्जिए समए पडिवक्खेण उगमणं तत्राइयरे व संडेवा
(६९) चलमाणमणकूळते सभए परिहरि अ गच्छ इयरेणं दगसंघट्टणलेवोपम पाए अदूरंभि
(७०)
(७२)
पाहाणे महुसिस्थे वालुए तह कद्दमे य संजोगा अक्कंतमनक्कते सपञ्चयाएयरे चैव (७१) जंघद्धा संघट्टो नाभी लेवो परेण लेवुवरिं एगो जले थलेगो निप्पगले तीरमुस्सग्गी निभएऽगारित्थीणं तु मग्गओ चोलपट्टमुस्सारे सभए अत्यग्धे वा ओइण्णेसुं घणं पट्टं (७३) दगतीरे ता चिट्टे निष्पगलो जाव चोलपट्टी उ सभए पलंबमाणं गच्छइ कारण अफुसंतो (७४) असइ गिहि नालियाए आणक्खेडं पुणोऽवि पडियरणं गाभोग पडिग्गह केई सव्वाणि न य पुरओ
(७५) सागारं संवरणं ठाणतिअं परिहरितु नाबाहे ठाइ नमोक्कारपरी तीरे जयगा इमा होइ (७६) नवि पुरओ नवि मग्गओ मज्झे उस्सग्ग पनवीसाउ दइउउडु यंतुंबे अ एस विही होइ संतरणे (७७) बोलीणे अनुलोमे पडिलोमऽद्देसु ठाइ तणरहिए असई य गत्तिणंतगउल्लतलिगाइ डेवणया (७८) जह अंतरिक्खमुदए नवरि निअंबे य वणनिगुंजे य ठाणं समए पाउण घणकप्पमलंबमाणं तु
(८०)
(७९) तिविहो वणस्सई खलु परित्तऽनंतो थिराधिरेक्केक्को संजोगा जह हैट्ठा अक्कताई तहेव इह तिविहा बेइंदिय खलु थिरसंघयणेयरा पुणो दुविहा अक्कंताई य गमो जाव उ पंचिंदिआ नेआ (८१) पुढविदए य पुढविए उदए पुढवि तस्स वाल कंटा य पुढविवणस्सइकाए ते चेब उ पुढविए कमणं
(८२) पुढवितसे तसरहिए निरंतरसेसु पुढविए चैव
आठवणस्सइकाए वणेण नियमा वणं उदए (८३) तेऊवाउविहूणा एवं सेसावि सव्वसंजोगा नच्चा विराहणदुगं वज्रंतो जयसु उवउत्तो (८४) सव्यत्य संजमं संजमाउ अप्पाणमेव रक्खिजा मुम्बइ अइवायाओ पुणो विसोही न याविरई (८५) संजपहेउं देहो धारिज्जइ सो कओ उ तदभावे संजमफाइनिमित्तं च देहपरिपालणा इट्ठा
For Private And Personal Use Only
ओशनियुत्ति (६८)
॥३२॥-91
||३३||-32
||३४||-33
||३४|| भा. -34
113411-34
||3|1-35
{|३७|-36
||३८||-37
।। ३९।-38
||४०||-39
||r9|1-40
॥४२॥-41
||४३||-42
||४४||-43
॥४५॥-44
||४६|| 45
1|89|1-46
118211-47