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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सम्प र्ण-३ (६५१) निसुणंतिय भयणिज्ज़ एगंतं निजरं कहताणं जइ अन्नहा न सुतं अत्यं वा किंचि वाएजा ॥१९॥ (१२०) एएणं अटेणं गोयमा एवं बुच्चइ जहा णं जावजीवं अभिग्गहेणं घाउकालियं सज्झायं कायव्यंति तहा य गोयमा जे भिक्खू विहीए सुपसत्यनाणमहिजेऊण नाणमयं करेजा से विनाण-कुसीले एवमाइ नाण-कुसीले अनेगहा पनविनंति ।३४॥ (६२१) से मयवं कयरे ते सण-कुसीले गोयमा दंसण-कुसीले दुविहे नेए-आगमओ नो आगमओ य तत्य आगमओ सम्म-इंसणं संकंते कंखंते विदुगुंछते दिट्ठीमोहं गच्छंते अणोयवहए परिवडिय-धम्मसद्धे सामण्णमुज्झिउकामाणं अथिरीकरणेणं साहम्मियाणं अवच्छल्लतेणणं अप्पभाबनाए एत्तेहिं अट्ठहिं पिथाणतरेहिं कुसीले नेए।३५।। (६२२) नो आगमओ य सण-कुसीले अनेगहा तं जहा-चक्खु-कुसीले पाण-कुसीले सवण-कुसीले जिब्म-कुसीले सरीर-कुसीले तत्य चक्खुकुसीले तिविहे नेए तं जहा-पसत्य-चक्खुकुसीले पसत्यापसत्य-चक्खु-कुसीले अपसत्य-चक्खुकुसीले तत्य-जे केइ-पसत्यं उसभादितित्ययर-दिवं-पुरओ चक्खु-गोयर-ट्ठियं तमेव पासेमाणे अन्नं किं पि मनसा अपसत्थमज्झवसे से णं पसत्य-चक्खु-कुसीले तहाजे पसत्यापसत्य-चक्तु-कुसीले तित्थयर-बिंदं हियएणं अच्छीहिं-किं पि पेहेजा से णं पसत्यापसत्य चक्खु-कुसीले तहा पसत्यापसत्याई दव्वाइं कागबग हेंक तित्तिरमयूराइं सुकंत-दित्तित्तियं वा दणं तयहत्तं चक्टुं विसज्जे से वि पसत्यापसत्य-चक्खु-कुसीले तहा अपसत्य-चक्षु-कुसीले तिसहिहिं पयारेहिं अपसत्या सरागा चक्खू त्ति से भयवं कयो ते अपसत्ये तिसही-चक्खु-भेए गोयमा इमे तं जहा सब्यू कडक्खा तारा मंदा मंदालसा बंका विवंका कुसीला अद्धिक्खिया काणिक्खिया भामिया उब्मामिया चलिया वलिया चलवलिया उद्धम्मिल्ला मिलिमिला मणुसा पासवा पस्खा सरीसिवा असंता अपसंता अथिरा बहुविगारा साणुरागा रागो ईरणी रागजण्णा मयुपायणी मयणी मोहणी यम्मोहणी भोइरणी मयजण्णा भयंकरी हियय-भेयणी संसयावहरणी चित्त-चमक्कुप्पायणी निबद्धा अनिबद्धा गया आगया गयागया गय-पञ्चागया निद्धाडणी अहिलसणी अरइकरा रइकरा दीणा दयावणा सूरा धरा हणणी मारणी तावणी संतावणी कुद्धापकुद्धा घोरापहा-धोरा चंडा रोदा सुरोधा हा हा भूयसरणा रुक्खा सणिद्धा रुक्खसणिद्ध त्ति महिला णं चलणंगुट्ठ-कोडि-नह-कर-सुविलिहिया दिण्णालतं गायं च नह-मणिकिरण-निबद्धसक्क चालवं कुम्मुण्णय-चलणं सम्पग्ग-निमुण-व-गूढजाणुं जंघा-पिहुलकडिपड-भोगा-जहण-नियंब-नाही-यण-गुल्झंतर-कट्ठा-या लट्ठीओ आहरोह-दसणपंती कण्णनासा नयण - जुयल - ममुहा-निडाल-सिररुह-सीमंतया मोडया-पट्टतिलगं-कुंडल-कवोलकजलतमाल - कलाव हार कडि -सत्तगणेउरर-बहुरक्खग-मणि-रयण-कडग-कंकण-मुद्दियाइ-सुकंतदित्ता-भरण-दुग्गुल्ल-बसण-नेवच्छा कापग्गि-संधुक्कणी निरय-तिरिय-गतीसुं अनंत-दुक्खदायगा एसा साहिलास-सराग-दिट्ठीति एस चक्खु-कुसीले।३।। (६२३) तहा घाण-कुसीले जे केइ सुरहि-गंधेसु संगं गच्छइ दुरहिगंधे दुगुंछे से णं घाणकुसीले तहा सवण-कुसीले दुविहे नेए-पसत्ये अपसत्ये य तत्य जे भिक्खू अपसत्याई काम-रागसंयुक्खणु दिवण-उजालण-पजालण-संदिवणाई-गंधब्द-न-धनुव्येद-हत्यिसिक्खा-काम-रतीसत्याईणि गंयाणि सोऊणं नालोएडा जाव शं नो पायच्छित्तमणुचरेजा से णं अपसत्य-सदप For Private And Personal Use Only
SR No.009768
Book TitleAgam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 39, & agam_mahanishith
File Size3 MB
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