SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 111०८॥ महानिसीई - 4/-६०३ अद्वेणं गोयमा सुलभ-बोहि-लाम-निमित्तेणं एवं चेयाई अकुबमाणे नाणकुसीले नेए ।३१। (६०५) तहा गोयमा णं पध्वजा दिवसप्पभिईए जहुत-विहिणो वहाणेणं जे केई साहू वा साहुणी वा अपुल-नाण-गहणं न कुजा तस्सासई चिराहीयं सुतत्थोमयं सरमाणे एगग्ग-चित्ते पढम-वरम-पोरिसीसु दिया राओ य नाणु गुणेजा से णं गोयमा नाण-कुसीले नेए से भयवं जस्स अइगरुयनाणावरणोदएणं अहनिसं पहोसेमाणस्स संवच्छरेणा वि सिलोगबद्धमवि नो थिरपरिचियं भवेजा से किं कुञा गोयमा तेणा वि जावजीवाभिग्गहेणं सन्झाय-सीलाणं वेयावत्रंतहा अनुदिणं अड्ढाइज्जे सहस्से पंच मंगलाणं सुत्तत्योपए सरमाणेगग्ग-माणसे पहोसेजा से भय केणं अद्वेणं गोयमा जे भिक्खु जावजीवाभिग्गहेणं चाउकालियं वायणाइ जहा सत्तीए सम्झायं न करेजा सेणं नाण-कुसीले नेए।३।। (६०६) अनं च-जे केई जावज्जीवाभिग्गहेणं अपुर्व नाणाहिगमं करेजा तस्सासतीए पुचाहियं गुणेजा तस्सावियासतीए पंचपगलाणं अड्ढाइजे सहस्से पराक्ते से भिक्खू आराहगे तं च नाणावरणं खवेत्तुणं तित्स्थयो इ वा गणहरे इवा भवेत्ताणं सिझेजा।३३। (६०७) से भयवं केण अद्वेण एवं युधइ जहाणं चाउकालियं सम्झायंकायव्यं [गोयमा : |३४-११ (१०८) मण-चइ-कायाउत्तो नाणावरणंच खबइ अनुसमयं सज्झाए वéतो खणे खणे जाइ वैरगं (६०९) उड्ढपहे तिरियम्मि य जोइस-वेमाणिया यसिद्धीय सब्बो लोगालोगो सज्झाय-चिउस्स पच्चस्खा (६१०) दुवालस-विहभिवितवे समितर-बाहिरे कसल-दिडे नवि अस्थि नविय होही सन्झाच-समंतवो-कर्म 1199011 (१११) एग-दु-तिमास-खमणं सवंच्छरमविय अगसिओ होजा सज्झाय-शाण-रहिओ एगोवासप्फलं पि न लभेजा (६१२) उग्गम-उप्पायण-एसणाहिं सुद्धं तु निच्च भुंजतो जइ तिविहेणाऽउत्तो अनुसमय-भवेत्र सज्झाए 19१२॥ (८१३) तोतं गोयम एगगमाणसत्तं न उवमिउंसक्का संवच्छरखवणेणं विजेण तहिं निजारानंता (३१४) पंच-समिओ ति-गुत्तो खंतो दंतो य निजरापेही एगग-माणसोजो करेज सज्झायं सो मुणी भण्णे ॥११॥ (६१५) जो वागरे पसत्यं सुयनामंजो सुणेइ सुह-भावो ठझ्यासवजदारत्तं तक्कालं गोयमा दोण्हं (६१६) एगमवि जोदुहत्तं सत्तं पडिबोहिउं ठवियमग्गे ससुरासुरम्मि विजगे तेण इहं घोसिओ अणाघाओ (११७) धाउपहाणो कंचणमावं न य गच्छाई किया-हीणो एवं मव्यो वि जिनोवएस-हीणोन बुझेजा (११८) गयनराग-दोस-मोहा धम्म-कहंजे करेंति समयन्नू अनुदियहमवीसंता सव्वपावाण मुचंति ।१०९॥ ॥१११॥ 11११३॥ ||११५॥ ||११६|| ॥११७॥ ||११८॥ For Private And Personal Use Only
SR No.009768
Book TitleAgam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 39, & agam_mahanishith
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy