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पंचकम्पो - (२४५१)
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(२४५५) जइ होइखेतकप्पो असती खेत्ताण होम बहुगावि
खेतेण यकालेण यसव्वस्सवि उग्गही नगरे (२४५६) सति लमे खेत्ताणंजोग्गाणंजो उजत्य संथरति
सो तहियं संचिक्खे खेत्ताण असती पुणवहपि (१४५७) एगत्य उ गामादिसुजहियं तू संपरंति तहिं अच्छे
सव्येसिं तहिं उग्गहो साहारण होतिजह नगरे (५८) एसा खेत्तुवसंपद पुरपच्छासंथुए लमति एत्य
तह मित्तवयंसा या जंच लम सुतोवसंपनी (२४५१) मग्गोवसंपदाए मगगंदेसेइजावसो तस्स
लमती दिट्ठामवादिजो य लामो पुरिल्याण (३०) विनओवसंपदा पुण कुव्वति विणयं तुजो उ रायणिए
सव्वं तस्सामवतीजो उउवट्ठायतीतस्स (२) उवसंपद इधेसा पंचविहा वनिया समासेणं
खेतम्मि परे खिते निक्खमिओ जो उहोजाहि (२४६२) काले उदु वासंवा वसिऊणं निग्गयाणजो अन्नो
पढमबितियदिवसेसू निक्खामे कालओएसो (२४१३) इच्छेसो पंचविहो ववहारो आपतिओ नामं
पच्छितेववहारोजहदसमुद्देस ववहारे । (२४६४) अहुणा उ खेत्तकाला तेवि उतत्येवमणित यवहारे
जंतत्य उतस्सेसं तमहं योच्छं समासेणं (२४६५) दुविहे विहारकाले तिविहा सोहीउ उवहिमत्ताणं
दिपणे जतंत सोही अविदिण्णष्ट्वाएँ आयपणे (२४६६) उदुबद्धे वासासु य विहारकालो उ होइ दुविहेसो
उग्गम उप्पायण एसणाय एसा तिविह सोही। (२४६७) उदुबद्ध मास वासासु होति चउरोविदिन्नकालो उ
एत्य जयंता जइवि हुआवजे तहवि सुद्धा उ (२४१८) मासा धउमासा पुण संवसमाणा उ तत्य अतिरितं
मगंति जयंताविहुकिमुअजयंता उकिंचऽणं (१४६९) उदुबद्धवासवासं अनुवसमाणो असुद्धभत्तुवही
आयरियप्पमाणा गुणप्पमाणं घसमणाणं (२४७०) उग्गममादी दोसा असेवमाणोविसो उ आवष्णो
जम्हा दोसायतणं उरम्पि यावेत्तुसंवसति (२७) कत्येयं पणियंतिय मन्नति आयरिएण किमायारे
आयारपकप्पेऊ आयारि भवंतु आयारी (२४७२) जेभिक्खू नितियवासं वसइत्ती एत्य मणिय सुतम्मि
एयं पमाण उपये अइरिते याविजे दोसा
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