________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संचारगं - (३४)
॥३४॥
॥३५॥
||३६||
॥३७॥
11३८॥
॥३९॥
(४०)
॥४०॥
॥४१॥
॥४२॥
(३४) जो पुणपत्तथ्यूओ करेइ आलोयणं गुरुसगासे
आरुहइयसंथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो (३५) जो पुणदंसणमइलो सिढिलचरित्तो करेइ साम।
आरुहइय संथारं अविसुद्धो तस्स संथारो जो पुण दंसणसुद्धो आयचरित्तो करेइ सामत्रं ।
आरुहइयसंथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो (३७) जो रागदोसरहिओतिगुत्तिगुत्तो तिसल्ल-मयरहिओ।
आरुहइय संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो तिहिं गारवेहि रहिओतिदंडपडिमोयगो पहिवकिति । आरुहइय संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो चउविहकसायमहणो चउहि विकहाहिं विरहिओ निचं ! आरुहइय संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो पंचमहत्वपकलिओ पंचसुसमिईसु सुटुमाउत्तो। आरुहइय संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो छक्काया पडिविरओ सत्तभयद्वाणविरहियमईओ ।
आरुहइय संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो (४२) अहमयहाण जदो कम्मट्टविहस्स खवणहेउत्ति
आरुहइय संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो नव बंभचेरगुत्तो उजुत्तो दसविहे समणधम्मे | आरुहइय संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो जुत्तस्स उतमद्वे मलियकसायरस निम्वियारस्स।
मण केरिसोउ लामो संघारगयस्स खपगस्स। (४५) जुत्तस्स उत्तमढे मलियकसायस्स निव्यियारस्स।
पण केरिसंच सोखं संथारगयस्स खमगस्स पढमिलुगम्मि दिवसे संथारगयस्स जो हवइ लामो। को दाणि तस्स सकका काउंअघं अणघस्स जोसंखिजभवद्विइ सव्वं पिखवेइ सो तहिं कम्मं । अनुसमयं साहुपर्य साहू वुत्तो तहिं समए तणसंथारनिसन्नो वि मुनिवरो भट्टराग-भय-मोहो! जंपावइ मुत्तिसुहं कत्तो तं वक्कवट्टी वि तिपुरिसनाडयम्मिविन सा रई जह महत्थवित्यारे !
जिनवयणम्मि विसाले हेउसहस्सोवगूढम्मि (५०) जंराग दोसमइयं सोक्खं जं होइविसयमइयं च ।
अनुहवइ चक्कवट्टी न होइ तं वीयरागस्स (५१) मा होह वासगणया न तत्थ वासाणि परिगणिजंति ।
बहवे गच्छं वुत्या जम्मण-मरणं च ते खुत्ता
11४३॥
11४४।।
||४५
||४६॥
॥४७॥
॥४८॥
॥४२॥
॥५०॥
|॥५
॥
For Private And Personal Use Only