SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वखारो-२ वा नालिआइ या एतेणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोयणं एएणं जोयणप्यमाणेमं जे पल्ले जोयणं आयाम-विक्खंभेणं जोयणं उडूढं उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं सेणं पल्ले एगाहिय बेहिय-तेहिय उक्कोसेणं सत्तरतपरूढाणं संमट्टे सण्णिचिए भरिए वासग्ग कोडीणं ते णं वालग्गा नो कुच्छेजा नो परिविद्धंसेज्जा नो अग्गी डहेजा नो दाए हरेजा नो पूइत्ताए हव्यमागच्छेजा तओ णं वाससए वाससए एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीए निल्लेवे निट्ठिए भवइ से तं पलि ओवमे । १९-२1-19-2 एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेजा दसगुणिआ तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं (३०) [८]]-1 (३१) एएणं सागरोवमप्पमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमा दो सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमदुस्समा एगा सागरोबमकोडाकोडीओ बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दुस्समसुसमा एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समा एक्कवीसं बाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा पुणरवि उस्सप्पिणीए एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा एवं पडिलोमं नेयव्वं जाव चत्तारि सागरोयमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा दसगारोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडी ओकालोउस्सप्पिणी वीसंसागरोवमकोडाकोडीओकालो ओस० उस्सप्पिणी 19९/-19 ९ (३२) जंबुद्दीवे णं भंते दीये भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे होत्या गोयमा बहुसमरमणि भूमिभागे होत्या से जहानाभए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव नाणाविधपंचवण्णेहिं तणेहि य मणीहि य उवसोभिए तं जहा - किण्हेहिं जाव सुक्कलेहिं एवं वण्णो गंधो फासो सद्दो य तणाण य भाणि अव्वो जाय तत्थ णं वह मणुस्सा मणुस्सीओ च आसयंति सयंति जाव ललंति तीसे णं समाए भरहे वाले यहवे उद्दाला कोद्दाला मोहाला कयमाला नट्टमाला दंतमाला नागपाला सिंगमाला संखपाला सेयंमाला नामं दुमगणा पत्रत्ता कुस - विकुस - विसुद्धरुक्खमूला पत्तेहिं य पुष्फेहि य फलेहि य उच्छण्ण-पडिच्छण्णा सिरीए अईव -अईव उवसीमेमाणा चिट्ठति तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थतत्य बहवे सेरुतालवणाई हेरुतालवणाई भेरुतालवणाई मेरुतालवणाई पयालवणाई सालवणाई सरलवणाई सत्तिवण्णवणाई पूअफलिवणाई खजूरीवणाई नालिएरीवणाई कुस-विकुसविसुद्धरुक्मूलाई जाव चिह्नंति तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ तत्थ बहवे सेरियागुम्मा नोमालियागुम्मा कोरंटयगुप्पा बंधुजीवगगुम्मा मणोज्जगुम्मा बीयगुम्मा बाणगुम्मा कणइरगुम्पा कुञ्जायगुम्मा सिंदुवारगुम्मा जातिगुम्मा मोग्गरगुम्मा जूहियागुम्मा मल्लियागुम्मा वासंतियगुम्पा वत्थुलगुम्मा कत्थुलगुम्मा सेवालगुम्मा अगत्थिगुम्मा मगदंतियागुम्मा चंपकगुम्मा जातिगुम्मा नवणी - यागुम्मा कुंदगुम्मा महाजाइगुम्मा रम्मा महामेहणिकुरंबभूया दसद्धवण्णं कुसुमं कुसुमेति जे गं भरहे वासे बहुसमरमणि भूमिभागं बायविधुअग्गसाला मुक्कपुष्फपुंजीवयारकलियं करेति तीसे णं समाए रहे वासे तत्थ तत्थ बहुई ओ वणराईओ पत्रत्तओ - किण्हाओ किण्होमासाओ जाय मगोहराओ रयमत्तछप्पय कोरग- भिंगारग - कोंडलग जीवंजीवग- नंदीमुह-कविल-पिंगलक्खग-कारंडवचक्कचाय-कलहंस-हंस-सारस अणेगसउण-गणमिहुणवियरियाओ सहुण्णइयमहुरसरणाइयाओ संपिंडियदरियभमरमहुयरिपहकर परिलिंतमत्तछप्पय-कुसुमसवलोलमहुरगुमगुमंतगुंजंतदेसभागा For Private And Personal Use Only
SR No.009744
Book TitleAgam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy