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॥१००11-12
||१०91-13
पाहु-२० (२१०) सद्धा-धिति-उठाणुछाह कम्म-बल-बीरिय-पुरिसकारेहि
जो सिक्खिओवि संतो अभायणे पक्खिवेज्ञाहि (२११) सो पयवण-कुल-गण-संधबाहिरो नापविणयपरिहीणो
अरहंतधेरगणहरमेरं किर होति वोलीणो (२१२) तम्हा घिति-उट्ठाणुच्छाह-कम्म-बल-वीरियसिक्खियं नाणं
धारेयव्यं नियमा ण य अविणीएसुदायव्यं (२१३) धीरवरस्स भगवतो जरमरगकिलेसदोसरहियस्स
यंदामि विणयपणतो सोक्षुप्पाए सा पाए (२१४)इइ संगहणी गाहा १०७/-108
||१०२11-14
1१०३॥-16
१६ | सर पन्नत्ती समत्तं पंचमं उवंगं समत्तं
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