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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उबवाइयं - १५ कारणं सावाणुग्गहसमत्था अप्पेगइया खेलोसहिपत्ता अप्पेगइया जल्लोसहिपत्ता अप्पेगइया विप्पोसहिपत्ता अप्पेगइया आमोसहिपत्ता अप्पेगइया सब्बोसहिपत्ता अप्पेगइया कोहबुद्धी अप्पेगइया वीयबुद्धी अप्पेगइया पडबुद्दी अप्पेगझ्या सप्पियासवा अप्पेगइया अक्खीणमहाणसिया अप्पेगइया उज्जुमई अप्पेगइया विउलमई अप्पेगइया विउब्बिणिढिपत्ता अप्पेगइया चारणा अप्पेगइया विज्जाहरा अप्पेगइया आगासाइवाई अप्पेगइया कणगावलिं तवोकम्मं पडिवण्णा अप्पेगइया एगावलि तवोकम्म पडिवण्णा अप्पेगइया खुड्डागं सीहनिककीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा अप्पेगइया महालयं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा अप्पेगइया तवोकम्म पडिवण्णा अप्पेगइया महाभद्दपडिम तवोकम्म पडिवण्णा अप्पेगइयचा सव्यओभद्दपडिमं तवोकम्मं पडिवण्णा अप्पेगइया आयंबिलवद्धमामं तवोकमं पडिवण्णा अप्पेगइया मासियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा जाव अप्पेगइया सत्तमासियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया पढमसत्तराइंदिर भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया वीयसत्तराईदियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया तच्चसत्ताइदियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया राइंदियभिक्खुपडिम पडिवण्णा अप्पेगइया एगराइवं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया सत्तसत्तमियं भक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया अटुअहमियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया नवणवमिवं भिक्खुपडिमं पड्वण्मा अप्पैगइया दसदसपियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया खुड्डियं मोयपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया महल्लियं मोवपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया जवपद्मं चंदपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया वइरमन्झं चंदपडिमं पडिवण्णा-संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेसाणा विहरंति।१५।-15 (१६) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे थेरा भगवंतो-जाइसंपत्रा कुलसंपन्ना बलसंपत्रा रूवसंपन्ना विनयसंपत्रा नाणसंपन्ना दंसणसंपन्ना चरित्तसंपन्ना लज्जासंपत्रा लाघवसंपन्ना ओयंसी तेवंसी वच॑सी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोमा जिइंदिया जियणिद्दा जियपरीसहा जीवियास-मरणभय-विप्पमुक्का बयप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा निगहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा अजवप्पहाणा मद्दवप्प- हाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विजप्पहाणा मंतप्पहाणा वेवप्पहाणा बंभपहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहामा सच्चप्पहाणा सोयप्पहाणा चारुवण्णा लज्जा तवस्ती जिइंदिया सोही अणियाणा अप्पोसुया अबहिल्लेसा अप्पडिलेसा सुसामण्णरया दंता-इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरओकाउं विहरंति तेसिं णं भगवंताणं आवाचाया वि विदित्ता भवंति परवाया वि विदित्ता भवंति आयावायं जमइत्ता नलवणमिव मत्तमातंगा अच्छिद्दपसिणवागरणा रयणकरंडगसमाणा कुत्तियाणभूया परवाइपमद्दणा दुवालसंगिणो समतगणिपिड़गधरा सव्वक्खरसपिणवाइणो सबभासाणुगामिणो अजिणा जिणसंकासा जिणा इव अवितहं वागरमाणा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति।१६।-16 (१७) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे अणगारा भगवंतो इरियासमिया भासासमिया एसणासमिया आयाण-भंड-मत्त-निक्खेषणासमिया उन्नारपासवण-खेल-सिंधाण जल्ल-पारिद्वावणियासमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुतिंदिया गुत्तदंभयारी अममा अकिंचणा निरुवलेवा कंसपाईवा मुक्कतोया संखो इव निरंजणा जीयो विव अप्पडिहयगई जच्चकणगं पिव जायरवा आदरिसफलगा इव पागाभावा कुम्मो इव गुतिंदिया For Private And Personal Use Only
SR No.009738
Book TitleAgam 12 Uvavayaim Uvangsutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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