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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सूतं-७ गय- हसिय-भणिय - विहिव - चिट्ठिय विलास-सललिय संलाव- निउण- जुत्तोवयार-सुला सुंदरथणजघण-चयण-कर-चरणनयणलावण्णविलासकलिया पासादीया दरिसणिज्जा अभिर्वा पडिरूवा कोणि रण्णा भिमसारपुतेणं सद्धिं अनुरता अविरत्ता इट्टे सद्द-फरिस - रस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस कामो पचणुभवमाणी विहरइ 191-7 (2) तस्स कोणिस्स रणो एक्के पुरिसे विउल-कय-वित्तिए भगवओ पवित्तिवाउए भगवओ तद्देवसियं पवित्ति निवेदेइ तस्स णं पुरिसस्स बहवे अन्ने पुरिसा दिण्ण- भति- भत्त-वेचणा भगवओ पवित्तिवाउया भगवओ तद्देवसियं पवितिं निवेदेति |८|-8 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (९) तेणं कालेणं तेणं समएणं कोणिए राया भिमसारपुत्ते बाहिरियाए उवद्वाणसालाए अनेगगणनायग-दंडनायगराईसर-तलवर-माइदिय- कोडुंबिय मंति- महामंति - गणग दोवारिय अनच्च चेड - पीढमद्द - नगर निगम- सेट्ठि- सेणावइ- सत्यवाह दूय-संधिवाल-सद्धि संपरिवुडे चिहर - - 191-9 (१०) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसोत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीव दीव ताणं सरणं गई पड्ड्ट्ठा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पडिहयवरनाणदंसणधरे विषट्टछउमे जिणे जाणए तिणे तारए मुत्ते मोयए बुद्धे बोहए सव्वन्नू सव्यदरिसी सिवमय लमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुनरावत्तगं सिद्धिगिनामधेचं ठाणं संपाविउकामे-भुयमोयग भिंग-नेलकजल - पहडुभमरगण -निद्ध - निकुरूंब निचिय- कुंचिय-पयाहिणावत्त-मुद्धसिरए दालिमपुप्फप्पगास-तवणिजसरिस - निम्पल सुणिद्ध-केसंत केसभूमी धण-निचिय - सुबद्ध-लक्खणुन्नय- कूडागारनिभ-पिंड्यग्गसिरए छत्तागारुत्तिमंगदेसे निव्यण-सम-लट्ठमट्ट-चंदद्धसम-निडाले उडुवइपडिपुत्र - सोपवणे अल्लीणपमाणजुत्तसवणे सुरसवणे पीण-मंसल - कवोल सभाए आणामियचावरुइल-किण्हटभराइ तणु-कसिण- निद्धमुहे अवदालिय-पुंडरीयनयणे कोयासिय धवल-पत्तलच्छे गरुलायतज्ज्जु-तुंग - नासे ओयविय सिल प्पदाल - बिंबफल-सण्णिभारहोडे पंडुरससिसयल - विमलनिम्मलसंख-गोक्खीर- फेण-कुंद- दगरयमुणालिया-धवलदंतसेढी अखंडदंते अप्फुडिवदंते अविरदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढी विद अणेगदंते हुयवहणिद्धंत धोय-तत्त-तवणिजरत्ततलतालुजी अब डिये सुविमत्त-चित्तमंसू मंसलसंठिय-पसत्य-सहूल-विउलहणुए चउरंगुलसुप्पमाण- कंबुबर- सरि- सगीवे वरमहिस- बराह - सीह सद्दल- उसम - नागवरपडिपुन्ननविउलक्खंधे जुगसन्निभ-पीण- रइय- पीवर पउडसंठिय-सुसिलिट्ठ- विसिट्ठ-धण-थिर- सुबद्ध- संधि- पुरवर-फलिएह-वट्टियभुए भुयगीसर- विउलभोग आयाण पलिहउच्छूढ दीहबाहू रत्तलोवइय- मयमंसल - सुजाय - लक्खणपसत्य - अच्छिद्दजालपाणी पीवरकोमलवरंगुली आयंब-तंब-तलिण-सुइरूइल- निद्धणखे चंदपाणिलेहे सूरपाणिलेहे संखपाणिलेहे चक्कपाणिलेहे दिसासोत्थियपाणिलेहे चंद - सूर संख चक्क - दिसासोत्थियपाणिलेहे कणग - सिलायलुञ्जल-पसत्त-समतल उवचियविच्छिण्ण-पिहुलवच्छे सिरिवच्छंकियवच्छे अकरंडुय - कणगरुयय-निम्मल सुजाय-निरुवहयदेहधारी सण्णयपासे संगयपासे सुंदरपासे सुजायपासे मियमाइय- पीण - रइय-पासे उज्जय-समसहिय जच्च तणु कसिण - निद्ध आइज्झ-लडह-रमणिञ्जरोमराई झस-विहग-सुजाय- पीणकुच्छी झसोयरे सुइकरणे गंगावतग-पया - हिंणावत्त-तरंगभंगुर - रविकिरणतरुण-खोहिय-अको - - 122 ་ - ༥ ▾ - For Private And Personal Use Only
SR No.009738
Book TitleAgam 12 Uvavayaim Uvangsutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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