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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ገረ विवाग - २/१/३७ पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव भत्तघरे तेणेय उद्यागच्छइ उवागच्छित्ता सयहत्थेणं विउलेणं असण- पाण- खाइम साइमेणं पडिला भेस्सामीति तु पडिलामेमाणे वि तुट्टे पडिलाभिए वि तुट्टे तए णं तस्स सुमुहस्स गाहावइस्स तेणं दव्वसुद्धेणं गाहगसुद्धेणं दायगसुद्धेणं तिविहेणं तिकरणसुद्धेणं सुदत्ते अणगारे पड़िलाभिए समाणे संसारे परित्तीकए मणुस्साउए निबद्धे गेहिंसि य से इमाई पंच दिव्वाई पाउब्वाई तं जहा वसुहारा वुट्टा दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिते चेक्खेवे कए आहयाओ देवदुंदुभीओ अंतरा वि य णं आगासंसि अहो दाणे अहो दाणे पुढे य हल्पिणाउरे सिंघाडग- जाव पहेसु बहुजणी अण्णमण्णस्स एवं आइक्खइ एवं भासेइ एवं पनवेइ एवं परूवेइ -धण्णे णं देवाणुप्पिया सुमुहे गाहावई जाव तं धण्णे णं देवाणुप्पिया सुमुहे गाहावई पुत्रेणं देवाप्पिया सुमुहे गाहावई एवं कयत्थे णं कयलखणे णं सुलद्धे णं समुहस्स गाहावइस्स जम्मजी वियफले जस्सणं इमा एयावा उराला माणुस्सिड्ढी लद्धा पत्ता अभिसमण्णगया तए णं से सुमुहे गाहावई बहूं वासयाई आउयं पालेइ पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इहेव हरियसीसे नवरे अदीणसस्सरणो धारिणीए देवीए कुच्छिसिं पुत्तत्ताए उबवण्णे तए णं सा धारिणी देवी सवणसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी- ओहीरमाणी तहे सीहं पासइ सेसं तं चेव उप्पि पासाए बिहरइतं एवं खलु गोयमा सुबाहुणा इमा एयारुवा माणुसिड्ढी तद्धा पत्ता अभिसमण्णागया पभूणं भंते सुबाहुकुमार देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए हंता पभू तए से भगवं गोयमे जाव विहरइ तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ हन्थिसीसाओ नवराओ पुष्करंड जागाओ कयवणमालपियजक्खाययणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिकूखमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ तए णं से सुबाहुकुमारे समणोबासए जाए- अभिगयजीवाजीवे जाव पडिला भेमाणे बिहरइ तए णं से सुबाहुकुमारे अण्णवा कयाइ चाउद्दसमुद्दिद्वपुत्रमासिणीसु जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पोसहसालं पमजइ पमजितता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ पडिलेहेत्ता दब्भसंथारं संधरइ संथरित्ता दब्मसंधारं दुखहइ दुखहित्ता अडमभंत पगिण्हइ परिहित्ता पोसहसालाए पोसहिए अट्टमभत्तिए पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ तए णं तस्स सुबाहुस्स कुमारस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि घम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेवारूवे अज्झथिए जाव संकप्पे समुपजित्था घण्णा णं ते गामागर- जाव सण्णिवेसा जत्य णं समणे भगवं महावीरे विहरइ घण्णा णं ते राईसर- जाव सत्यावाहप्पभियओ जे णं समणस्स भगवओ महावीरस्य अंतिए मुंडा जाव पव्वयंति धण्णा णं ते राईसर-जान सत्थवाहम्पभियओ जेणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुपवइयं [सत्तसिक्खावइयं-दुवालसविहं] गिहिधम्मं पडिवनंति घण्णा णं ते राईसर-जाव सत्थवाहप्पभियओ जेणं समणस्स भगबओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सुणेति तं जइ णं समणे भगवं महावीरे पुय्वाणुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे इहमाच्छेजा जाव विहरेजा तए णं अहं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वएज्जा तए णं समणे भगवं महावीरे सुबाहुस्स कुमाररस इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव विद्याणित्ता पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं] दूइजमाणे जेणेव हत्थिसीसे नमरे जेणेव पुष्फकरंडयउजाणे जेणेव कयचणमालपियस्स जक्रखम्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहापडिख्वं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ परिसा राया निग्गए तए णं तस्स सुबाहुस्स कुमारस्स तं महया जहा पढ तहा निग्गओ धप्पो कहिओ परिसा राया पडिगया तए णं से सुबाहुकुमारे समणस्स भगवओ For Private And Personal Use Only
SR No.009737
Book TitleAgam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 11, & agam_vipakshrut
File Size1 MB
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