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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वग्गी-६, अजनयणं- ३ १९ रायगिहाओ नयराओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पुप्फुचयं करेइ करेत्ता अग्गाई बराई पुप्फाई गहाय जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खययणे तेणेव उवाच्छइ उवागच्छित्ता मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स महरिहं पुष्फक्षणं करेइ करेत्ता पापड पणा करेइ तओ पच्छा रायमग्गसि वित्तिं कप्पेमाणे बिहरइ तत्य णं रायगिहे नयरे ललिया नामं गोट्ठी परिवसइ अड्ढा जाव अपरिभूता जं कवसुकया यावि होत्या तए णं रायगिहे नगरे अण्णया कचाइ पमोदे घुट्टे यावि होत्या तए णं से अज्जुणए मालागारे कल्लं पभूयतराएहिं पुष्फेहिं कइति कट्टु पघूसकालसमयंसि बंधुमईए भारियाए सद्धिं पच्छियपिडयाई गेण्हइ हित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ पडिनिक्खमिता रायगिहं नगरं मज्झमज्झेणं निगच्छइ निष्णच्छित्ता जेणेव पुष्फारापे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता बंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुधयं करेइ तए णं तीसे ललियाए गोड्डीए छ गोहिल्ला पुरिसा जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खायायणे तेणेच उद्यागया अभिरममाणा चिति तए णं से अज्जुणए मालागारे बंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेइ पत्थियं भरे भरेता अग्गाई वराई पुष्फाई गहाय जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ तए णं ते छ गोला पुरिसा अणयं मालागारं बंधुमईए भारियाए सद्धिं एजमाणं पासंति पासित्ता अण्णमण्णं एवं बवासी एस णं देवाणुप्पिया अनुणए मालागारे बंधुमईए भारियाए सद्धि इहं हव्वमागच्छ तं सेयं खलु देवाणुप्पिया अम्हं अनुयणं मालागारं अवओडय बंधणयं करेत्ता बंधुमईए भारियाए सद्धि बिउलाई भोगभोगाई भुंजमाणाणं विहरितए त्ति कट्टु एयमठ्ठे अण्णमण्णस्स पडिसुणेति पडिसुणेत्ता कवाडंतरेसु निलुक्कंति निञ्चला निष्कंदा तुसिणीया पच्छणा चिट्ठति तए णं से अजुणए मालागारे बंधुमईए भारियाए सद्धिं जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्रखस्स जखायपणे तेणेव उवागच्छइ आलोए पणामं करइ महरिहं पुप्फञ्चणं करेइ जष्णुपायपडिए पणापं करेइ तए णं छ गोडिला पुरिसा दवदवस्स कवाडंतरेहिंतो निष्गच्छंति निग्गच्छित्ता अजुणयं मालागारं गेण्हंति पेण्हित्ता अवओडय बंधणं करेति बंधुमईए मालागारीए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति तणं तस्स अज्जुणस्स मालागारस्स अयमज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकष्ये समुपजित्था एवं खलु अहं बालप्पभिई चैव मोग्गरपाणियस्स भगवओ कल्लाल्कल्लिं जाव पुप्फच्चणं करेमि जण्णुपायपडिए पणाएं करेमि तओ पच्छा रायमगंसि वित्तिं कप्पेमाणे विहरामि तं जइ णं मोग्गरपाणी जक्खे इह सण्णिहिए होते से णं किं मम एयारूवं आवई पावेजमाणं पासंते तं नत्थियां मोग्गरपाणी जक्खे इह सण्णिहिए सुव्वत्तं णं एस कट्ठे तए णं से मोग्गरपाणी जक्खे अञ्जुणयस्स मालागारस्स अयमेथारूवं अज्झत्थियं जाव वियाणेत्ता अञ्जुणयास मालागरस्स सरीरयं अनुष्पविसइ अनुपविसित्ता तडतडस्स बंधाइ छिंदइ छिंदित्ता तं पलसहस्सणिष्कण्णं असोमयं मोग्गरं हित्ता ते इत्थिरात्तमे छ पुरिसे धाएइ तए णं से अजुणए मालगारे मोग्गरपाणिया जक्खेणं अण्णाइट्ठे समाणे रावगिहस्स नगरस्स परिपेउतेणं कल्लकल्लिं इत्यसत्तमे छ पुरिसे धाएमाणे धाएमाणे विहरइ तए णं रायगिहे नवरे सिंघाडग- जाव महापहपहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासेइ एवं नवे एवं परुवेइ --एवं खलु देवाणुपिया अज्जुणए मालगारे मोग्गरपाणिणा अण्णाट्टे समाणे रायगिहे नयरे बहिया इत्थिसत्तमे छ पुरिसे धाएमाणे- धाएमाणे विहरइ तए गं से सेणिए राया इमसे कहाए लखट्टे समाणे कोटुंबियपुरिसे सहावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुपिया For Private And Personal Use Only
SR No.009734
Book TitleAgam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages42
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 08, & agam_antkrutdasha
File Size1 MB
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