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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दग्गो-५, अझवणं-१ १७ तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित करयल जाव कट्टु कन्हं वासुदेवं एवं वयासी - इच्छामि णं देवाणु - पिया तुम्बेहिं अण्णाया समाणा अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतिए मुंडा जाव पव्वइत्तए अहासुहं देवाणुपिया मा पडिबंधं करेहि तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सहावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुथिया पउमावईए देवीए महत्वं महग्धं महरिहं निक्खमणाभिसेयं उवट्टवेह उवट्ठवेत्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाय तमाणत्तियं पचप्पणंति तए णं से कण्हे बासुदेवे पउमावई देदिं पट्ट्यं दुरुहेइ असणं सोचष्णकलसाणं जाव महाणिक्खभणाभिसेएणं अभिसिंचइ अभिसिंचिता सव्वालंकारविभूसियं करेइ करेत्ता पुरिससस्वाहिणिं सिवियं दुरुहावेइ दुरुहावेत्ता बारवईए नयरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ निष्गच्छिता जेणेव रेवयए पव्वए जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीयं ठवेइ पउमावई देविं सीयाओ पचोरूहइ पञ्च्चोरूहित्ता जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव उद्यागच्छइ उचागच्छिता अरहं अरिनेमिं तिक्खुत्ती आयाहिण-पचाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नर्मसिता एवं क्यासीएस णं भंते मम अग्गमहिसी पउमावई नामं देवी इट्ठा कंता पिया मणुष्णा मणाभिरामा जाव उंबरपुष्कं पिव दुलहा सवणयाए किपंग पुणे पासणयाएए तणं अहं देवाणुप्पिया सिस्सिणिभिक्खं दलयामि पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया सिस्सिणिभिक्लं अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिवंध करेह तए प सा पउमावई उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ अवक्कमित्ता सयमेव आभरणालंकारं ओमुयइ ओमुयित्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जेणेव अरहा अरिट्ठनेमीं तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहं अरिणेमिं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भंते लोए जाव तं इच्छामि णं देवाणुप्पिएहिं धम्ममाइक्खिय तए णं आरहा अरिङनेमी पउमावई देविं सयमेव पव्वावेइ पव्यावेता सयमेव जक्खिणीए अजाए सिस्सिणित्ताए दलयइ तए णं सा जक्खिणी अज्जा परमावइं देविं सममेव पव्वावेइ जाब संजमेणं संजमियव्वं तए णं सा परमावई देवी तमाणाए तए चिट्ठइ जाव संजमेणं संजमइ ते णं सा पउमावई अज्जा जाया इरियासमिया जाव गुतबंभयारिणी तए णं सा पउमावई अज्जा जक्खिणीए अजाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजइ बहूहिं चउत्थ-छट्टट्टम-दसप-दुवालसेहिं मासद्ध-मासखमणेहिं विविहेर्हि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ तए णं सा पउमावई अज्जा बहुपडिपुन्नाई वीसं वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता पासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसेइ झूसेत्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए छेदेइ छेदेत्ता जस्सवाए कीरइ नग्गभावे मुंडभावे जाय तमहं आराहेइ चरिमुस्सासेहिं सिद्धा । ९1-9 • पंचमे वग्गे पदमं अायणं समत्तं । -: २-८ - अज्झ य णा णि : (२१) तेणं कालेणं तेणं समएणं बारबई नयरी रेवयए पव्वए उज्जाणे नंदवण्णे तत्थ णं बारवईए नयरीए कण्हे वासुदेवे तस्स णं कण्हस्स वासुदेवस्स गोरी देवी - वण्णओ अरहा समोसढे hue निगए गोरी जहा पउमावई तहा निग्गया धम्म कहा परिसा पडिगया कण्हे वि तए णं सा गोरी जहा पउमावई तहा निक्कंता जाव सिद्धा एवं गंधारी लक्खणा सुसीमा जंबवई सच्चभामा रूप्पिणी अवि पमावईसरिसाओ अहं अज्झयणा 1901-10 पंचमे वणे २-८ अज्झयणाणि समतानि -: ९-१० - अज्झ य णा णि : (२२) तेणं कालेणं तेणं समएणं धारवईए नयरीए रेवयए पव्वए नंदणवणे उज्जाणे कण्हे For Private And Personal Use Only
SR No.009734
Book TitleAgam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages42
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 08, & agam_antkrutdasha
File Size1 MB
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