________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
*r
भगवई - ५/-/७/२५७
सारंभा सपरिग्गहा नो अनारंभा अपरिग्गहा से केणद्वेमं भंते एवं बुधइ-नेरइया सारंभा सपरिग्गहा नो अनारंभा अपरिग्गहा गोयमा नेरइया णं पुढविकार्य समारंभंति [आउकायं समारंभंति ते कार्य समारंभंति वाउकार्य समारंभंति वणस्सइकार्य समारंभंति] तसकार्य समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति सचिताचित्त - श्रीसयाई दव्वाइं परिग्गहियाइं भवंति से तेणट्टेणं गोयमा एवं बुवइ-नेरइया सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंभा अपरिगहा असुरकुमारा णं भंते किं सारंभा पुच्छा गोयमा असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा नो अनारंभा अपरिग्गहा से केणट्टेणं गोयमा असुरकुमाराणं पुढविकार्य समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भयंति, कम्मा परिग्गहिया भवंति भवणा परिग्नहिया भवंति देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ परिग्गहिया भवंति आसण-सयण-मंड- मत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्बाई परिग्गहियाई भवंति से तेणद्वेणं [ गोयमा एवं बुधइअसुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा नो अनारंभा अपरिग्गहा ] एवं जाव धणियकुमारा एगिंदिया जहा नेरइया बेईदिया णं मंते किं सारंभा सपरिग्गहा उदाहु अनारंभा अपरिग्गहा तं चैव बेइंदिया णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकायं सभारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति बाहिरा मंड- मत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति सचित्ताचित्त-मीसयाइं दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति एवं जाव चउरिंदिया पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते किं सारंभा सपरिग्गहा उदाहु अनारंभा अपरिग्गहा तं चेव जाव कम्मा परिग्गहिया भवंति टंका कूडा सेला सिहरी पटमारा परिग्गहिया भवंति जल-थल - गुह-लेणा परिग्गहिया भवंति उज्झर-निज्झर चिल्लल-पल्लल-घष्पिणा परिग्गहिया भवंति अगडतडाग -दह-नईओ वावी पुक्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ विलपंतियाओ परिग्गहियाओ भवंति आरामुजाण -काणाण वणा वणसंडा वणराईओ परिग्गहियाओ भवंति देवउल- सभ-पव-यूभ-खाइम- परिखाओ परिगहियाओ भवंति पागा अट्टालग-चरियदारगोपुरा परिगहिया भयंति पासाद घर-सरण - लेण-आवणा परिग्गहिया भवंति सिंघाडग-तिगचक्क चञ्चर- चउम्मुह-महापह- पहा परिग्गहिया भवंति सगड-रह- जाम- जुग्ग-गिल्लि थिल्लि -सीयसंदभाणियाओ परिग्गहियाओ भयंति लोही-लोहकडाह कडुच्छया परिग्गहिया भवंति भवणा परिगहिया भवंति देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोगिया तिरिक्खजोणिणीओ परिगहिया भवंति आसण-सयण- खंभ- भंड- सचित्ताचित्त-मीसायाई दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति से तेणद्वेमं जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्सा वि माणियव्वा वाणमंतर - जोइस वेमाणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्दा १२१८१-218
(२६१) पंच हेऊ पन्नत्ता तं जहा- हेउं जाणइ हेउं पासइ हेउं बुज्झइ हेउं अभिसमागच्छइ हेउ छाउमत्थमरणं मरइ पंच हेऊ पत्रत्ता, तं जहा- हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्यमरणं मरइ पंच हेऊ पत्रत्ता तं जहा - हेरं न जाणइ जाव हेउं अन्नाणमरणं मरइ पंच हेऊ पत्रत्ता तं जहा- हेउणा न जाणइ जाव हेउणा अन्नाणमरण परइ पंच अहेऊ पन्नत्ता तं जहा - अहेउं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं परइ पंच अहेऊ पन्नत्ता तं जहा - अहेउणा जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं परइ पंच अहेऊ पत्रत्ता तं जहाउ - अहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरइ पंच अहेऊ पत्रत्ता तं जहाअहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ सेवं भंते सेवं भंते त्ति ।२१९/- 219
पंथ सते सत्तमो उद्देतो समतो●
For Private And Personal Use Only