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HHHHHश्री उपदेश शुद्ध सार जी
प्रकाशकीय--
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प्रकाशकीय परम वीतरागी तीर्थकर भगवंतों की आध्यात्मिक शाश्वत परम्परा में अनेकों ज्ञानी ध्यानी, जिनवर वाणी के ज्ञाता महापुरुष हुए हैं। उनकी विशुद्ध 2 आम्नाय में श्री गुरु तारण तरण मण्डलाचार्य जी महाराज आत्म साधना के मार्ग
में निरंतर अग्रणी रहने वाले आध्यात्मिक ज्ञान पुंज के धनी, विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न वीतरागी अध्यात्म योगी ज्ञानी संत थे । आत्म स्वरूप के अनुभव पूर्वक पूज्य गुरुदेव ने वीतराग मार्ग पर चलकर स्वयं अपना आत्म कल्याण करते हुए जाति-पांति से परे लाखों जीवों के कल्याण का पथ प्रशस्त किया ।
श्री गुरु महाराज द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलकर अपना आत्म कल्याण करना इसी में मानव जीवन की सार्थकता है । तारण तरण श्री संघ के पूज्य साधक जन, ब्रह्मचारिणी बहिनें एवं विद्धजन स्वयं आत्म कल्याण के मार्ग पर चलते हुए श्री गुरु की वाणी के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं यह हमारे लिये महान सौभाग्य की बात है।
___ अध्यात्म शिरोमणी पूज्य श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के आशीर्वाद से वर्तमान समय में गुरुवाणी की प्रभावना हो रही है। पूज्य श्री ने आचार्य श्रीजिन तारण स्वामी द्वारा रचित चौदह ग्रंथों में से श्री मालारोहण जी, श्री पण्डित पूजा जी, श्री कमल बत्तीसी जी, श्री तारण तरण श्रावकाचार जी, श्री उपदेश शुद्धसार जी, श्री त्रिभंगीसार जी एवं श्री ममलपाहुइ जी ग्रंथ की ५८ फूलनाओं की टीकायें करके गुरुवाणी के यथार्थ भावों को अपनी भाषा में प्रगटकर हमें आत्महित का मार्ग बताकर महान उपकार किया है।
तारण तरण जैन समाज भोपाल को गुरुवाणी के प्रचार-प्रसार करने का सौभाग्य मिला और यहाँ तारण तरण अध्यात्म प्रचार योजना केन्द्र की स्थापना ३१ मार्च सन् 1999 को हुई तथा अल्प समय में ही साहित्य प्रचार में गतिशीलता आई। अध्यात्म रत्न बाल ब्र. पूज्य श्री बसन्त जी महाराज के मार्गदर्शन में यह कार्य व्यवस्थितरूप से चल रहा है। सम्पूर्ण देश के कोने-कोने में तथा विदेशों
में भी तारण साहित्य भेजा जा रहा है, इस कार्य से सर्वत्र महती प्रभावना हो रही * है। साहित्य प्रकाशन के इस कार्य को आगे बढ़ाने में भोपाल एवं अन्य स्थानों
के अनेक समाज बन्धुओं ने अपना अमूल्य सहयोग देकर आध्यात्मिक साहित्य * के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान दिया है । इस महान कार्य के लिये हम सभी * के शुभ भावों की हृदय से अनुमोदना करते हैं।
श्री उपदेश शुद्धसार जी ग्रंथाधिराज की प्रस्तुत साधक संजीवनी टीका
अध्यात्म साधना की अनुभूतियों से परिपूर्ण है । ज्ञानमार्ग पर चलने वाले मोक्षमार्गी साधक को आत्म साधना के मार्ग में कौन-कौन सी बाधायें आती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जाये तथा अध्यात्म साधना की सफलता को किस प्रकार उपलब्ध किया जाये यह सम्पूर्ण मार्गदर्शन पूज्य गुरुदेव श्रीमद् जिन तारण स्वामी द्वारा रचित एवं पूज्य श्री द्वारा अनूदित इन टीका ग्रंथों से प्राप्त होता है । यह चौदह ग्रंथ रत्न युगों-युगों तक भव्य आत्माओं को प्रकाश स्तंभ की तरह आत्म साधना में निमित्त बने रहेंगे।
प्रसन्नता का विषय है कि अध्यात्म प्रचार योजना केन्द्र की गतिविधियों में भोपाल नगर स्थित तीनों चैत्यालय के पदाधिकारी, तारण तरण जैन जागृति मंडल, तारण तरण नवयुवक मंडल, तारण तरण नवक्रांति मंडल, तारण लेक सिटी संस्थान एवं युवा परिषद का विशेष सहयोग रहता है । वर्तमान समय के अनुरूप इस साहित्य प्रकाशन से सम्पूर्ण देश में गुरुवाणी की महती प्रभावना हो रही है । साहित्य समाज का दर्पण होता है, यह इस प्रचार-प्रसार से सिद्ध हो गया है। वर्तमान समय की अनिवार्य आवश्यकता थी साहित्य सृजन की, इस दिशा में यह एक सार्थक पहल हुई है, जो सभी के लिये प्रसन्नता और गौरव का विषय है।
अध्यात्म शिरोमणी पूज्य श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के प्रति हम हृदय से कृतज्ञ हैं। उनके समाधिस्थ होने के पश्चात् भी उनके द्वारा दिया हुआ ज्ञान हमारा पथ प्रशस्त करता रहेगा | अध्यात्म रत्न बाल ब. पज्य श्री बसन्त जी महाराज एवं तारण तरण श्री संघ के सभी साधक जन ब. बहिनें और विद्वतजनों का गुरुवाणी की प्रभावना में हमें निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है इससे हम गौरवान्वित हैं तथा सकल तारण तरण जैन समाज के लिये भी यह गौरव का विषय है । सभी भव्य जीव इन टीका ग्रंथों का स्वाध्याय चिंतन-मनन करके अपने आत्म कल्याण का मार्ग बनायें यही पवित्र भावना है।
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विनीत छोटेलाल जैन, आनन्द तारण (संरक्षक)
आर.सी.जैन (अध्यक्ष) दिनांक : २४ अप्रैल २००२
प्रवीण जैन (मंत्री) महावीर जयंती महोत्सव
एवं समस्त पदाधिकारीगण श्री तारण तरण अध्यात्म प्रचार योजना केन्द्र
६१ मंगलवारा, भोपाल (म.प्र.)
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