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गति गम्य अगम्य अनन्त, सु सुद्ध सुयं सुइ ममल विन्यान स सेहरौ । न्यानीय सुनीय सुनीय, सुयं सुइ ममल विन्यान स सेहरौ ॥ ८ ॥
॥ गमऊ गम. ॥ कषाय अषाय कषाय जिनय, जिन जिनय जिनेन्द पऊ । तं लिंगु अलिंगु सु लिंगु, सुयं जिन लिंग स लिंग सु जिनय पऊ || मिथ्यात सहाव सरूव सुयं,सुइ विलय सुयं जिन सुयं रऊ । न्यानीय निवासु अवयासु, सु नन्त सु नन्त सुयं जिन सेहरौ ॥ ९ ॥
॥ गमऊ गम. || न्यानेन न्यान विन्यान सु न्यान सु न्यान, सु न्यान सु ममलु सु ममल पऊ । तं सिद्ध सरूव सरूव सुयं सुइ, रूव अरूव सु मुक्ति पऊ ॥ सुइ तारन तरन विवान, विवान समय सह सहइ रऊ । न्यानीय सुनीय सु निर्त, निलय जिन जिनय सिद्ध जिन सेहरौ ॥ १० ॥
|| गमऊ गम. ॥
१०. कल्याणक फूलना (फूलना क्र.७४)
(विषय : कल्याणक पाँच)
(१)
जब जिनु गर्भवास अवतरियौ, ऊर्ध ध्यान मनु लायौ । दर्सन न्यान चरन तव यरियौ, उव उवन सिद्धि चितु लायौ ॥ १ ॥ अरी मै संमत्तु रयनु धरिये, जिहि रमन मुक्ति लहिये । अरी मै समय सरनि मिलिये, अरी मै जिन वयनु हिये धरिये ॥ २ ॥ अरी मै जिन उत्तु उत्तु धरिये, अरी मै जिन दर्स दर्स रसिये । अरी मै दिप्ति दिस्टि सिधिए, अरी मै जिन अर्थ अर्थ मिलिये ॥ ३ ॥ अरी मै अलष लष्य लषिये, अरी मै मुक्ति रमनि मिलिये । अरी मै संमत्तु रयनु धरिये, अरी मै तिअर्थ अर्थ मिलिये ॥ ४ ॥ अरी मै ममल भाव रहिये, अरी मै संमत्तु रयनु धरिये । अरी मै उवन न्यान मिलिये, अरी मै सम समय सुद्ध मिलिये ॥ ५ ॥ अरी मै न्यान रमन रमिये, अरी मै सिद्धि मुक्ति मिलिये । अरी मै संमत्तु रयनु धरिये, अरी मै सुयं मुक्ति मिलिये ॥ ६ ॥
(२) जब जिनु उवन उवन सुइ उवने,उवन उवन चितु लायौ । उव उवन हिययार सहयार उवन पौ, उव उवन मुक्ति दरसायौ ।। ७ ।।