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जं उवनु जिनय जिन उत्तु, जिन उत्तु रे, समय साह सम नंत मौ । भय विलय भेउ सिय भव्वु, सिय भव्वु रे, उवन समय भत्ति मुक्ति पौ ॥ २४ ॥ उव उवन साहि सम उत्तु, सम उत्तु रे, सम समय साह जिन जिनय पौ । उव उवन समय सम उत्तु, सम उत्तु रे, सिद्ध समय सम मुक्ति पौ ॥ २५ ॥
७. फाग फूलना (फूलना क्र.६६)
(विषय : अर्क छत्तीस) जिन जिनयति जिनय जिनय पऊ, जिन जिनयति जिनय जिनेन्दु । उव उवन हिययार उवन पऊ , सहयार सिद्धि सम्पत्तु ॥ १ ॥ सिद्ध सरूव सुरति, तरन जिन षेलहि फागु । मुक्ति पंथु सुइ ऊ वने, सह समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ २ ॥
॥ आचरी॥ अर्क स अर्क स अर्क. स्यं सुइ अर्क स उत्तु । सुयं सुइ अर्क ऊवने, अर्क विंद संजुत्तु ।। ३ ।। सिद्ध. ॥
इस्ट इस्ट भय विलयं, उवन भय उवन विलन्तु ।
अभय अभय सुइ ऊ वने, भय सल्य संक विलयन्तु || ४ || सिद्ध.. अर्क विंद सुइ ऊवने, विंद अर्क सुइ उत्तु । विंद सुयं सुइ अर्क, अर्क सुइ विंद अनन्तु ॥ ५॥ सिद्ध.. नन्त विंद सुइ अर्क, अर्क सुइ सुन्न पउत्तु । सुन्न सुयं सुइ उत्तु, जिनय जिन नन्त अनन्तु ॥ ६॥ सिद्ध.. कमल अर्क सुइ अर्क, अर्क सुइ इस्ट पउत्तु । इस्ट अर्क इस्टंतु, उवन पऊ उवन स उत्तु ॥ ७॥ सिद्ध.. पदम कमल सुइ अर्क, अर्क जिन अर्क पउत्तु । विंद अर्क उववन्न, अर्क सुइ विंद अनन्तु ॥ ८॥ सिद्ध.. विंद अर्क सुइ ऊवने, कमल सब्द सुइ उत्तु । कमल विंद सुइ अर्क, अर्क जिन सब्द अनन्तु ॥ ९॥ सिद्ध कमल अर्क सुइ ऊवने, केवल अर्क जिनुत्तु । केवल अर्क उवने, नन्त चतुस्टै पउत्तु ॥ १०॥ सिद्ध.. नन्तानन्त सु अर्क, नन्त जिन नन्त जिनुत्तु । नन्तानन्त सुभाइ, अर्क जिनु अर्क जिनुत्तु ॥ ११॥ सिद्ध
अन्मोय अर्क सुइ ऊ वने, जिन जिनयति जिनय जिनत्त । सरनि संक भय विलयं, मुक्ति पंथु दर्संतु ॥ १२ ॥ सिद्ध तारन तरन सहाइ, सहज जिन अर्क पउत्तु । अन्मोय दिस्टि सुइ ऊ वने, सिहु समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ १३ ॥ सिद्ध..
८. ठहकार फूलना (फूलना क्र.५९) (विषय : पांच अर्थ, कर्म की उत्पत्ति-षिपति, अक्षर, स्वर, व्यंजन)
जिन जिनवर हो उत्तउ भवियन ममल सुभाए । जिन जिनियौ हो कम्मु अनन्तु जु धम्म सहाए । धरि धरियौ हो झान ठान सो ममल सहाए । ठहकारे हो ममल न्यान सो मुक्ति सुभाए ॥ १ ॥