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(खट्टा, मीठा, कडुआ, चरपरा और कषायला), आठ स्पर्श (हलका, भारी, कठोर, नरम रूखा, चिकना, ठण्डा, गरम), चार आनुपूर्व्य (नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देव), एक अगुरुलघु, एक उपघात, एक परघात, एक आतप, एक उद्योत, दो विहायोगति (प्रशस्त और अप्रशस्त), एक उच्छवास, एक त्रस, एक स्थावर, एक बादर, एक सूक्ष्म, एक पर्याप्त, एक अपर्याप्त, एक प्रत्येक, एक साधारण, एक स्थिर, एक अस्थिर, एक शुभ, एक अशुभ, एक सुभग, एक दुर्भग, एक सुस्वर, एक दुःस्वर, एक आदेय, एक अनादेय, एक यश:
कीर्ति, एक अयशः कीर्ति और एक तीर्थंकर नामकर्म । प्रश्न १६८- गति नाम कर्म किसे कहते हैं? उत्तर - जो कर्म जीव का आकार नारकी, तिर्यंच, मनुष्य और देव के समान बनाता है उसे गति
नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १६९- जाति किसे कहते है? उत्तर - अव्यभिचारी सदृशता के कारण एकरूपता धारण करने वाले विशेष को जाति कहते हैं
अर्थात् जाति के द्वारा सदृश धर्मवाले पदार्थों का ग्रहण होता है | प्रश्न १७०- जाति नाम कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर जिस कर्म के उदय से जीव एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय होता
है उसे जाति नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १७१- शरीर नाम कर्म किसे कहते हैं? उत्तर - जिस कर्म के उदय से जीव के साथ औदारिक आदि शरीर की रचना होती है उसे शरीर
नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १७२- अंगोपांग नाम कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर - जिस कर्म के उदय से शरीर के हाथ पैर आदि अंग एवं नासिका आदि उपांग बनते हैं उन्हें
अंगोपांग नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १७३- निर्माण नाम कर्म किसे कहते हैं? उत्तर
- जिस कर्म के उदय से शरीर के अंगोपांगों की ठीक-ठीक रचना होती है उसे निर्माण
नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १७४ - बन्धन नाम कर्म किसे कहते हैं? उत्तर - जिस कर्म के उदय से औदारिक आदि शरीरों के परमाणु परस्पर सम्बन्ध को प्राप्त होते हैं
उसे बन्धन नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १७५- संघात नाम कर्म किसे कहते हैं? उत्तर जिस कर्म के उदय से औदारिक आदि शरीरों के परमाणु छिद्ररहित एकता को प्राप्त होते हैं
उसे संघात नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १७६- संस्थान नाम कर्म किसे कहते हैं? उत्तर - जिस कर्म के उदय से शरीर की आकृति बनती है उसे संस्थान नाम कर्म कहते हैं। प्रश्न १७७- समचतुरस संस्थान किसे कहते हैं? उत्तर - जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर की आकृति कुशल शिल्पकार के द्वारा बनायी गयी