________________
मॉडल, श्री तारण तरण मुक्त महाविद्यालय प्रश्न
प्रथम वर्ष (प्रवेश) पत्र
प्रथम प्रश्न पत्र - ज्ञान विज्ञान भाग - १, २ समय-३ घंटा
पूर्णांक- १०० नोट : सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है। शुद्ध स्पष्ट लेखन पर अंक दिए जावेंगे। प्रश्न १ - रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(अंक २ x ५= १०) (क) जिन्हें............. नामकर्म की पुण्य प्रकृति का उदय होता है, वे तीर्थंकर कहलाते हैं। (ख) सात व्यसनों के त्यागपूर्वक ............. क्रियाओं का पालन तारण पंथ का मूलाचार है। (ग) जो पदार्थ सेवन करने योग्य न हों, वे............. कहलाते हैं। (घ) आचार्य श्री जिन तारण स्वामी ने............. क्रांति करके जीवों पर उपकार किया है।
(ङ) निज अंतरात्मा सच्चा ............. है। प्रश्न २ - सत्य/असत्य कथन चुनकर लिखिए
(अंक २ x ५= १०) (क) जिन शास्त्रों में त्रेसठ श्लाका पुरुषों की जीवन गाथा हो, उसे प्रथमानुयोग कहते हैं। (ख) निज शत्रु जो घर माँहि आवे, अपमान वाको कीजिये। (ग) पंडित पूजा सारमत का दूसरा ग्रंथ है। (घ) तीर्थंकर अनेक होते हैं।
(ङ) मायाचारी, परिग्रह, मूर्छा, मिथ्या मार्ग का उपदेश आदि तिर्यंचगति का कारण है। प्रश्न ३- सही जोड़ी बनाइये - स्तंभ-क
स्तंभ - ख (अंक २ x ५=१०) संसारी और मुक्त
ऋषभनाथ स्वाद लेना और बोलना
सप्त व्यसन चोरी, शिकार, मांस, शराब जीव के भेद मरुदेवी, नाभिराय
७२ वर्ष महावीर
रसना इंद्रिय प्रश्न ४ - सही विकल्प चुनकर लिखिये -
(अंक २ x ५= १०) (क) प्राण होते हैं
(१) बीस (२) तीस (३) चालीस (४) दस (ख) ७५ गुणों में सम्मिलित हैं - (१) परमेष्ठी (२) तीर्थंकर (३) कामदेव (४) तिर्यंच (ग) करणानुयोग का ग्रंथ है- (१) चौबीसठाणा (२) महापुराण (३) श्रावकाचार (४) ममलपाहुड़ (घ) विदेह क्षेत्र में नहीं होता- (१) पंचम काल (२) षट्काल परिवर्तन (३) २४ तीर्थंकर (४) चौथा काल
(ङ) तप करने से होती है - (१) मुक्ति (२) कर्म निर्जरा (३) क्षीणकाया (४) स्वर्ग प्रश्न ५ - लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग ३० शब्दों में लिखिये - (कोई पाँच) (अंक ४x ५=२०)
(१) संसार में कितने और कौन-कौन से रत्न हैं? उनका क्या करना चाहिये? (२) द्रव्यानुयोग की परिभाषा लिखकर उदाहरण बताइये। (३) चौदह ग्रंथों के नाम लिखिये।
(४) तत्त्व मंगल के अनुसार गुरु का क्या स्वरूप है, लिखिये? (५) अभक्ष्य किसे कहते हैं? भेद सहित बताइये। (६) सैनी पंचेद्रिय किसे कहते हैं? प्रश्न ६ - किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग ५० शब्दों में दीजिये
(अंक ६४५= ३०) (१) रत्नत्रय की साधना करने का क्या आशय है ? (२) तारण पंथ का मूलाचार क्या है ? स्पष्ट कीजिये। (३) तीर्थंकर और भगवान में क्या अंतर है? (४) आचार्य तारण स्वामी जी ने पूजा का क्या स्वरूप बताया है ?
(५) रात्रि भोजन का त्याग क्यों करना चाहिये? (६) षटावश्यक में निश्चय-व्यवहार रूपकथन का क्या आशय है ? प्रश्न ७- किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग २०० शब्दों में लिखिये -
(अंक १x१०=१०) (अ) टिप्पणी लिखें- (१) सदाचार (२) गतियाँ (अथवा) (ब) आध्यात्मिक क्रांतिकारी संत तारण तरण विषय पर निबंध लिखिये।