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________________ श्री नाममाला जी चंदनश्री. मैनरूवा मनश्री. हरषरूवा हर्षिनी, गुप्तिरूवा गौरी, रमनरूवा रूपश्री, परमरूवा मदनश्री, चरनरूवा चौवा, नैनरूवा नैनश्री, भक्तरूवा भाउश्री, सहजरूवा सहजा, जैनरूवा जैना, मिलनरूवा मला, हियरमन रूवा हीरा, विमलरूवा विमलश्री, विपकरूवा षेमदे, लषनरूवा लषनी, भुवनरूवा भानवती, मिस्टरूवा, हंसरूवा हंसा, षिपकरूवा, जान सुरूवा जैना, मिलनरूवा मदना, रूवरूवा रमनश्री, नंदकुंवार, परसरूवा पुना, विनरूवा वीठा, सुवनरंज सुमति, अभैरूवाभाना, रुचिरूवारूपा, पियरूवा पुना, भुवनरूवा भाउश्री, रंजरूवा विमलश्री, पियरूवा पुना, भुवनश्री, रंजरूवा रूपश्री। गुप्तिरूवा ज्ञानश्री, लीनरूवा लीनसिरी, मालरूवा माड़न, विगसरूवा विमलसिरी,चंद्ररूवा चंद्रसिरी। विस्वरूवा तस्य उत्पन्न चार - हियनंदकुंवार ५४, नंदकुंवार ४४, कल्परंज मिलने ७४, धुवकुंवार मिलने ३४ । सुवनी दो-नैनसुवा, अलषसुवा- अन्मोय जिन श्रेणिकलन मुक्ति गामिनो। सिलवानी हियनंद कुंवार तस्य उत्पन्न छह - सुवन कुंवार ७, चरनकुंवार चांदनु, रैनरंज राम, सुवनरंज सुमति, मैनरंज मड़े, धुवरंज प्रदेस । सुवनी तीन- भुवनसुवा, नितरूवा, मैनरूवा-अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। अस्कंधरूवा तस्य उत्पन्न चार- सहजरंज समोषनु, उक्तरंज उददु, मिलन कुंवार मदन, मिलनरंज वैद। सुवनी तीन - रैनसुवा रमनश्री, अषयरूवा ईदा, हंसरूवा हांसो - अन्मोय जिन श्रेणिकलन मुक्ति गामिनो। उवनरूवा तस्य उत्पन्न पांच - अल्पकुंवार अर्जुन, गुप्तिरंज गुनिया, रूवरंज रतन, विक्तरूवा विमल, जयकुंवार जैपति। सुवनी तीन - मैनरूवा श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी मदनश्री, हरषिरूवा मिलने, निलयरूवा ईदा- अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। सुवनसुवा तस्य उत्पन्न पांच - सयनरंज सीतल, जिनरंज ठाकुर, उवनरंज उदद, धर्मरंज धनेसुर, रिसिकुंवार मिलने। सुवनी दो- सहजरूवा, रैनरूवाअन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो ॥ सहजकुंवार सहस, मिलनकुंवार मदनश्री, नितरंज मानिक, रूपरंज नान्हें, वयनकुंवार वहोडिगु, सिवकुंवार श्रीचन्द्र, दिप्तिरंज देउपति, पियरंज पुना। श्री नाम-रैनरूवा रूपश्री, दिप्तिश्री देउली, अभयरूवा भोली, जयरूवा जैश्री, अल्परूवा अनभा, सुवनरूवा सुहागश्री, नैनरूवा नैनश्री चरुवा, विपकरूवा पेमा, इस्टरूवा ईदा, चेयरूवा चांदो, रूपकुंवार रूपसिरी, सुवनसुवा सुहगा, मैनरूवा मानिकदे, उक्तकुंवार उददु । कर्नरूवा को कुटुम्ब थिरकमपुर, सुवनकुंवार मुनिदास गगरवाड़ो (गाडरवारो) पड़रिया, नयकुंवार धनेसुर, मैनरंजसिरी, भुवनरंज भीषम, सिवकुंवारसिरी, विनैरंज वीरदास, विस्वकुंवार विमल, हंसरूवा हीरा, भयरूवा भाउसिरी, ममलरूवा महासिरी, पियरूवा पदम, सहजरूवा सहगा, रुवनसिरी, सहनरूवा। सहजरूवा तस्य उत्पन्न पांच - लीनकुंवारलषन १४, रैनकुंवार रतनसिरी २१, नन्दकुंवार छीतरू ४४, परसकुंवार पते ३४, हिय रमन रंज प्रदेस ५४ । सुवनी दो-मिलनरूवा, रैनरूवा-अन्मोय जिन श्रेणिकलन मुक्ति गामिनो। सुल्पकुंवार तस्य उत्पन्न पांच - हिय रमनरंज राजा १४७४, सहजरंज सहसु ३३, धुवरंज धनेसुर ४३, कल्पकुंवार सहस २४, साहरंज मिलने ८४ । सुवनी दो - भुवनरूवा, अगमरूवा - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। (४६५
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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