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श्री छद्मस्थवाणी जी
उवं उवन उवन उव उवन्न उवनं सोई लोय नंत प्रवेसं ॥ ३६ ॥ उवन सरनि सोई विलयं ॥ ३७ ॥
उवनं सोई तार कमल समय मुक्ति विलसंतं ।। ३८ ।। ॥ इति प्रथमोऽधिकारः ॥
द्वितीय अधिकार
ॐ नमः उवन सिद्ध नमो नमः ॥ १ ॥
३ ॥
उत्पन्न स्वामी तारन तरन केवली समय पांच लाख त्रेपन हजार तीन से उनईस ( ५५३३१९ ) ॥ २ ॥ अन्मोद कमलावती रुइया जिन विदी ॥ जोति केवली सात सौ मनपर्जय न्यानी पांच सौ गणधर ग्यारह (११) ॥ ६ ॥ प्रति गणधर चौदह सौ अवधि न्यानी तेरह सौ एक संतत केवली तीन (३) ॥ अनवधि केवली तीन (३) ॥ १० ॥ राजा दानपति एक ( १ ) ।। ११ ।। सौधर्म स्वर्गी आठ हजार (८००० ) जति सिद्ध गति आठ हजार (८००० ) अनुत्तर गति वैक्रियक चार हजार चार सौ (४४०० ) || १४ || पूर्वधर तीन हजार ( ३००० ) ।। १५ ।।
९ ॥
।।
१२ ।।
।। १३ ।।
( ७०० ) (५०० )
( १४०० ) (१३०१)
॥
॥
४ ॥
५ ॥
॥ ७ ॥
॥। ८ ।।
४३६
।।
।।
अजिंका छत्तीस हजार (३६००० ) ॥ श्राविका तीन लाख ( ३००००० ) श्रावक एक लाख (१००००० ) सिष्यक नव्वे हजार (९०००० ) ॥ कुवादी चार चौ (४०० ) ।। २० ।। पारनौ दिन पैंतालीस (४५) ।। २१ ।।
१६ ॥
१७ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
१८ ॥
१९ ॥
जोग ध्यान दिन छह (६) ।। २२ ।। ३९९९ सुष्येन सुष्येन मुक्ति गामिनो अन्मोय कमलावती रुइया जिन ।। २३ ।।
७०० जोति केवली संसर्ग मुक्ति गामिनो सुष्येन सुयेन विदी ॥ २४ ॥
उत्पन्न संसर्ग जोति सिर रुइया जिन ॥ २५ ॥ उत्पन्न संसर्ग जोति कमलावती ॥ २६ ॥ उत्पन्न जोति चरनावती ।। २७ ।। उत्पन्न जोति करनावती ।। २८ ।। उत्पन्न जोति विंदावती ।। २९ ।। उत्पन्न जोति भक्तावती ॥। ३० ।। उत्पन्न जोति जयनावती ॥ ३१ ॥ उत्पन्न जोति सुवनावती ।। ३२ ।। उत्पन्न जोति विगसावती ॥ ३३ ॥ उत्पन्न जोति रमनावती ॥ ३४ ॥ उत्पन्न जोति दिप्तावती ।। ३५ ।।