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केलाय माता
श्री छयस्थवाणी जी
श्री छनस्थवाणी जी
प्रथम अधिकार उवं हियं श्रियं अर्हन्त सर्वन्यं सिद्ध सिद्ध धुवं जयं सुयं जयं जयं उत्पन्नं जयं ॥ १ ॥ उव उवन उत्पन्न जिन श्रेणि तारन तरन उवन कमल ॥ २ ॥ उत्पन्न कलनस्य कलियं, उत्पन्न कमल सुभाव ॥ ३ ॥ अर्क विन्द उत्पन्न ॥ ४ ॥ अर्क छत्तीस सरन कमल उत्पन्न कमल ॥ ५ ॥ अर्क धुव समवसरन उत्पन्न ॥ ६ ॥ उवन दिप्ति दिस्टि प्रवेसी ॥ ७ ॥ सुर्य सब्द उत्पन्न प्रियो ॥ ८ ॥ सुवन साहि उत्पन्न हिय हुव औकास ॥ ९ ॥ सह समय मुक्ति रमन गमन सिद्ध सिद्धं ॥ १० ॥ जिन सवीर्ज उत्पन्न अन्मोद वीर्ज ॥ ११ ॥ समय दिस्टि दिप्ति सब्द आकिर्न ॥ १२ ॥ हिय हुव औकास सर्वांग ॥ १३ ॥ अर्क उत्पन्न वीर्ज अन्मोद सह समय सिद्ध सिद्धं धुवं ॥ १४ ॥ उनईस सै तेतीस (१९३३) वर्ष दिन रयन सै तीनि उत्पन्न ॥ १५ ॥ सहजादि मुक्ति भेष उत्पन्न ॥ १६ ॥ मिथ्या विलि वर्ष ग्यारह (११) ॥ १७ ॥ समय मिथ्या विलि वर्ष दस (१०) ॥ १८ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी प्रकृति मिथ्या विलि वर्ष नौ (९) ॥ १९ ॥ माया विलि वर्ष सात (७) ॥ २० ॥ मिथ्या विलि वर्ष सात (७) ॥ २१ ॥ निदान विली वर्ष सात (७) ॥ २२ ॥ अन्या उत्पन्न वर्ष डेढ़ (१॥), वेदक वर्ष दोइ (२), उवसम वर्ष अढ़ाई (२॥), प्यायिक वर्ष तीन (३), एवं उत्पन्न वर्ष नौ (९) ॥ २३ ॥ उत्पन्न भेष उवसग्ग सहनं वर्ष छह, मास पांच, दिन पंच दस, संवत् पन्द्रह सौ बहत्तर (१५७२) गततिलकं सत सहजादि कल छूटो ॥ २४ ॥ तदि सर्वार्थसिद्धि उत्पन्न ॥ २५ ॥ कलन सह समय सिद्धि सिद्धं सुयं ॥ २६ ॥ उत्पन्न सुभाव अनदिठि अनश्रुत अनहोतो सब्द उत्पन्न धुव ॥ २७ ॥ उक्त साह उत्पन्न अषिर सुर विंजन सर्वार्थसिद्धि सिद्धं ॥ २८ ।। उत्पन्न सब्द हितमित परिनत ॥ २९ ॥ कोमल ललित हेव अवगाहन अगुरुलघु बाधा विलि मुक्ति सुभाव ॥ ३० ॥ उत्पन्न उत्पन्न उत्पन्न नो उत्पन्न रमन न्यान ॥ ३१ ॥ इति कार्ज सिद्धि तिलकं संवत् १५७२ स्वामी तारन तरन सर्वार्थ सिद्धि उत्पन्न ॥ ३२ ॥ इति तिलक बहत्तर को ॥ ३३ ॥ समय को मुक्ति प्रसाद ॥ ३४ ॥ सुष्येन सुष्येन सिद्धं धुवं ॥ ३५ ॥
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