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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी (१६२) सन्य उबन फूलना गाथा ३१७४ से ३१८० तक (विषय : औकास - सून्य स्वभाव का उदय) उव उवन विंद विंद विंद जिनु होई, सुइ विंद सुन्न सुन्न विंद समेई ॥ १ ॥ समय उवन जिनवर बंध विलेई, कमल कलन जिन जिनवर सोई ॥ २ ॥ ॥आचरी॥ उवन उवन सुन्न सुन्न सुन्न जिन होई, सुइ सुन्न उवन जिन सुन्न समेई ॥ ३ ॥ ॥ समय.॥ सुइ सुन्न समय सुइ सुन्न विंद सोई, सुइ विंद सुन्न सम जिनवर होई ॥ ४ ॥ ॥समय.॥ जिन नंत सुन्न सुइ नंत विंद सोई, सुइ नंत नंत सुन्न विंद समेई ॥ ५ ॥ ॥ समय.॥ सुइ श्रेनि विंद सुन्न कलन जिन होई, सुइ कलन सुन्न जिन सुन्न समेई ॥ ६ ॥ ॥ समय.॥ सुइ कलन श्रेनि जिन कलन समेई, सुइ तार कमल जिन जिनवर सोई ॥ ७ ॥ ॥ समय.॥ (१३) सून्य प्रवेस फूलना गाथा ३१८१ से ३१९३ तक (विषय! औकास - सून्य स्वभाव में प्रवेश) उव उवन जयं नंत सुन्न प्रवेसा, सुइ सुन्न सुर्य सिद्धि नंत गमेसा ॥ १ ॥ जिनके रंज रमन मन मान, पियारे हो जिनाला। सुइ नंद नंद परमनंद, सुन्न मुक्ति वियाला ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ जय जयन जयं जय जयो जिनेसा, उव उवन उवं सुन्न सुन्न प्रवेसा ॥ ३ ॥ ॥ जिन. ॥ सुन्न नंत गमेसा, सुव सुन्न सुर्य अगम सुन्न प्रवेसा ॥ ४ ॥ ॥ जिन. ॥ सह सहन सहं नंत सुन्न सहेसा, सह असह सहं अगम सुन्न प्रवेसा ॥ ५ ॥ ॥ जिन. ॥ सुइ साह साह नंत सुन्न सहेसा, सुइ विंद सुन्न अगम विंद प्रवेसा ॥ ६ ॥ ॥ जिन. ॥ उव उवन सुन्न विंद नंत उवन प्रवेसा, उव उवन सहावे नंत सुन्न गमेसा ॥ ७ ॥ ॥ जिन. ॥ ___= = = = = = (४२७)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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