________________
श्री ममल पाहुड जी
पय परम परम जिन उव उवन समय है,
जिन सिद्धि मुक्ति जिन विलसइया रे ॥ ३ ॥
जिन विंद उवन रै सुन्न समय है,
सह
सुवन
जिन जिनयति जिनय जिनालीया रे । जयविंद सुन्न सम उवन उवन जिन, समय मुक्ति रलिआलीया रे ॥ जिन सुयं सुर्य जिन हो, सोहं श्रवन समय । सोहं सोहं सो जि हंउं, हंसो जिन तार पियारे हो, स्वामी रमन तित्थयर पियारे हो, स्वामी जिन श्रेनि श्रेनि सुइ श्रेनि, सुयं तित्थयर समय । तर तार कमल सुइ समय, कलन कलि मुक्ति रमै ॥ जिन तार पियारे हो स्वामी मुक्ति रमै ॥
रमै ॥ रमै ।
मुक्ति
रमै ॥
(१६१) जै जै नंदिनी फूलना गाथा ३१६५ से ३९७३ तक (विषय: सुन्न प्रवेश)
लोय अलोय बंध पद मिलने,
दृग सुष यह चित लाई । सुड़ धुव सुष मुक्ति मिलाई । जै जै नंदिनी हो ।
बंध विलय सुइ उवन पद रमने,
४ ॥
५ 11
६ 11
७ ॥
१ ॥
४२६
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी बंध उवन विलय, सुड़ कलन कमल जिन जिनहि मिलै ॥ २ || ॥ आचरी ॥
आदि अनादि सुयं सिद्ध उवने, सु नंत प्रवेस समाई । सुयं सुबंध लोय अलोय सु, उव उवन सहज सु विलाई | ॥
३ 11
॥
जै.
लोय बंध सु नंत बंध मनुवा, पुग्गल भवन सहाई । सुयं सिद्ध सुइ अलष निरालंब, सुइ सहजै मुक्ति मिलाई ॥ ॥ जै. ॥
४ 11
अगमु अथाहु सु नंत प्रवेसी, नंतानंत जिनेई । नंत मिलन सुइ समय रमन जिनु, उव उवन मुक्ति सु रमेई ॥ ५ ॥ ॥ जै. ॥
वन समय सुप्रवेस रमन जिनु, सह साह चिंत सु अचिंतेई ।
जं परिचै तं सुयं प्रवेसी, मनु विलय सहज सु रमेई ॥ ६ 11 ॥
जै.
॥
जं परिचै तं पद प्रवेसी, सह साह गमन सु गमेई । सह गमन सुयं सुइ परिचै उवने, दह अठ उनतालसई ॥ ॥ जै.
७
॥
नंतानंत काल सुइ षिपनिक, सुइ समय सुयं सु रमेई । तर तार कमल सुइ सहज मिलन मिलि, अन्मोय मुक्ति सु रमेई ॥ ८ ॥
॥ जै. ॥
।
सह साह समय सह गमन सुवन जिनु, जय रमन जयं जिनु सोई रै रंज रमन सु रयन जिन उवने, सह समय सिद्धि विलसेई
॥
९
॥
जै
॥
||
॥