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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी कमल उवन धुव उवन सुभाउ, धुवना ले। धुव उवन कमल सम कर्न सहाउ, धुवना ले ॥ ३ ॥
॥ जय. ॥ सम समय समय सम सुवन सहाउ, सुवना ले । सुव सुवन समय सम हियन सुभाउ, हियना ले । हिय उवन उवन हुव उवन सहाउ, हियना ले । हुव हुवन हुवन अवयास सुभाउ, हुवना ले ॥ ४ ॥
॥ जय. ॥
(११४) परमानंद बिलासी फूलना गाथा ३११५ से ३१२० तक
(विषय: कमल पय) नेय अनेय सहज सुइ रमन सु,
परमानंद विलासी । निस्चलु अगमु अथहु कोमलु सुइ,
उव उवन प्रवेस परसिये ॥ १ ॥ जिनु अपनौ विगसि मिलिये, स्वामी अपनौ,
विलसि रमिये जिनवर अपनौ । उव उवन प्रवेस परसिये, धुव जिन अपनी ॥ २ ॥
||आचरी॥ भेय अभेय अभय भय विलय सु,
विगत अविगत अविनासी ।
पीय अपीय पियं पिय रमन सु, सुइ रयन रमन परसिये ॥ ३ ॥
|| जिन. ॥ सेय असेय सेय सुइ सुवन सु, ।
उव लोय लोय प्रवेसिये । नंत अनंत नंत सुइ सुवन सु, सुइ सुवन सहज परसिये ॥ ४ ॥
|| जिन. ॥ संध्य असंख्य संष्य सुइ लवन सु,
लष अलषउ लष सुइ परसिये । दिस्टु सब्द उव विलय सु उवन सु, उव उवन प्रवेस परसिये ॥ ५ ॥
॥ जिन. ॥ रंज रमन नंद सुवन जिन श्रेनि सु,
जिन वीर समय सुइ परसिये । तर तार कलन उव कमल रमन जिनु, सह समय मुक्ति परसिये ॥ ६ ॥
॥ जिन. ॥
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