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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी विन्यान बीस चौ उवन स नंतु, सिय धुवं धुवं सिय सिद्धि संपत्तु ॥ १६ ॥ ॥ उव.॥ उव उवन वीरु विन्यान संजुत्तु, सुइ उवन श्रेनि जिन कलन स उत्तु । उव तार तरन जिन कमल जिनुत्तु, सह समय उवन जिनु सिद्धि संपत्तु ॥ १७ ॥ ॥ उव. ॥ श्री ममल पाहुइ जी धुव समय हियं हिय उवन अलष्यु, उव उवन अलष्य हिय जिनय जिनुत्तु । उव उवन अलष्य अगम गम उत्तु, सुइ अगम रमन जिन सिद्धि संपत्तु ॥ १२ ॥ ॥ उव. ।। उव उवन अगम गम साह सहंतु, सहयार सुवन आयरन जिनुत्तु । साह रमन उव उवन अनंतु, उव रमन कमल धुव सिद्धि संपत्तु ॥ १३ ॥ ॥ उव. ॥ उवन रंज जय जयो जिनुत्तु, जय जय जय जय रंज सिद्धि रत्तु । सुइ रंज उवन उव उवन जिनंदु, जिन जिनय कमल सुइ परम जिनंदु ॥ १४ ॥ ॥ उव. ।। उव उवन उवन षिपि षिपिय अनंतु, बिपि विपन रमन जिन सिद्धि स रत्तु । उव उवन षिपन सुइ ममल अनंतु, उव ममल रमन धुव सिद्धि संपत्तु ॥ १५ ॥ ॥ उव.॥ उव उवन सियं सिय मुक्ति सहाउ, सिय रमन रसिय धुव उवन सुभाउ । सह रन बना लिया जाता (१३९) जै जै मेल समय फूलना गाथा २८६८ से २८८६ तक (विषय : षट् शब्द, हितकार सोलही) उव उवन उवन उव उवन जिना, उव उवन समय जय सिद्धि गमना । जय जयो जयो जय उवनु जिना, सह समय मुक्ति जिन सिद्धि रमना ॥ १ ॥ जै जै मेल समय फँचै उवनु जिना, जै जै मुक्ति गमनु जिनु सिद्धि रमना । सह समय मुक्ति जिन जिनय जिना ॥ २ ॥ ||आचरी॥ जै जै उवन हियं हिय समय जिना, जै जै उवन हियं अवगहै गिना ।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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