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________________ श्री ममल पाहुड़ जी जय जयं जयं जय जयन रमन जिनु, रिजु विपुल उवन सुइ सहज रमन जिनु, पय मन उवन उवन जय जय उवनं । सुइ सहस लक्ष्य लष लषिय कोडि जिनु, मनपर्जय परम सु मुक्ति जयं ॥ सुइ प्रान पयं पय चौदह उवने, चौदस सुइ उवन सु कमल जिनं । सुइ ममल कमल सुइ उवन उवन जिनु, नंतानंत मनपर्जय समय सु मुक्ति जयं ॥ ॥ सुइ रमन उवन तत्काल रमन जिनु, १८ ॥ ॥ जिन. ॥ जय उवन मुषारविंद रमनं । हिय हुवं सहज सुइ केवल उवनं, तत्काल दर्स हिय हुव गमनं ॥ ॥ लष लष कोडि तवयरन जिनं । चतुस्टै उवनं, केवल सुड़ समय सु मुक्ति जयं ॥ ॥ तं न्यान न्यान सुइ उवन न्यान जिनु, तं न्यान सुभाव सु जिनय जिनं । १९ ॥ जिन. ॥ २० ॥ जिन. ॥ २१ ॥ जिन. ॥ ३९३ जिन जिनयति दिस्टि इस्टि सुइ उवने, सुइ दर्सन दर्सिउ ममल पयं ।। २२ । ॥ जिन. ॥ जय चष्य चष्य सुइ चष्य उवन जिनु, चष्य रमन सुइ परम पयं । सुइ परम परम सुइ दर्स रमन जिनु, जय दर्स कमल जिनु सिद्धि जयं ॥ जय सहस लक्ष्य लष कोडि रमन जिनु, श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी परिनवै परम जिनु परम दर्स जिनु, सुइ चष्य दर्स परिनामु जिनं । सुइ चष्य दर्स जिनु अचष्य दर्स जिनु, २३ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन जिनयति चष्य सुदर्स जिनं ॥ ॥ सुइ उवन दर्स जिनु सिद्धि जयं जिनु, सुइ उवन दर्स दर्स कमल जिनं । दुति सहस लक्ष्य लषि कोडि कोडि जिनु, जिनु अचष्य समय हिय मुक्ति जयं ॥ २५ ॥ ॥ जिन. ॥ २४ ॥ जिन. ॥ विन्यान बीस परिनाम जिनं ।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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