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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी सुइ तारन तरन सु कमल जिन पौ,
सह समयह मुक्ति विलासु ॥ सम समय सिद्धि संपत्तु जिनु ॥ ५ ॥
॥बनिजारे हो.॥
(१३५) उपयोग बत्तीसी फूलना
गाथा २७९४ से २८२६ तक
(विषय : ज्ञान-८, दर्शन-४, परिणाम-60 सहित) जय जय जय जय जयन रमन जिनु,
जय उवन रमन जिनु मुक्ति जयं । जय मुक्ति मुक्ति जय नंत मुक्ति जिनु,
सह समय जय जय मुक्ति जयं ॥ १ ॥ जिनु वंदिहउ, सुइ नंदिहउ, सुइ रंज रमन नंद सहज मुक्ति जिनु वंदिहउ ॥ २ ॥
॥आचरी॥ जय पयं पयं पय पयं परम जिनु,
पय पयोग रमन जिनु मुक्ति जयं । सुइ सुर्य सुयं सुइ पयोग उवन जिनु, पय पयोग रमन जिनु सिद्धि जयं ॥ ३ ॥
॥ जिन.॥ जय न्यान रमन सुइ न्यान उवन जिनु,
जिन उवन उत्तु जय अस्ट जयं ।
सुइ दर्स दर्स जय दर्स रमन जिनु, चौ उवन चतुस्टै मुक्ति जयं ॥ ४ ॥
|| जिन.॥ मति कमल उवन सुइ ममल रमन जिनु,
जय कमल सहज जिनु कंठ जयं । जय कंठ उवन सुइ कोडि लष्य दह, जय लष्य लष्य दह परम जिनं ॥ ५ ॥
| जिन. ॥ मति ममल कमल सुइ चरन चरिय जिनु,
जय कलन रमन सुइ दर्स जयं । जय चरन कलन सुइ सुयं रमन जिनु, __मति कमल सहज जिनु मुक्ति जयं ॥ ६ ॥
॥ जिन.॥ मति ममल कमल श्रुति हिययार रमन जिनु,
हिययार कमल सुइ भुक्त विलं । हिय नंत नंत परिनामु सहज जिनु, सुइ सहज उवन जिनु मुक्ति जयं ॥ ७ ॥
॥ जिन. ॥ जय लष्य अलष्य लष लषन रमन जिनु,
विन्यान बीस सुइ कोडि जिनं । परिनामु उवन सुइ दर्स रमन जिनु, हिय ममल कमल जय मुक्ति जयं ॥ ८ ॥
|| जिन. ॥