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________________ श्री ममल पाहुड जी हंस रमन हिय उवन सुइ सहना, सहन साह उव छोह सुइ रमना । छोह उवन हुव अगम गम गमना, अगम हुवन सुइ कमल जिन उवना ॥ अवयास नंत सुइ उवन जिन उवना, दिप्ति दिप्ति सुइ दिप्ति जिन जयना, सहन साह इच्छ असह सिद्धि गमना । अवयास दिप्ति सुइ कमल जिन रमना ॥ ६ ॥ ॥ सुनहु ॥ अभय सियं सिय अभय भय गलना, अभय रंज भय विलय सु रमना । सुर्क सुयं सिय नंत जिन उवना, ५ ॥ ॥ सुनहु ॥ नंत समय सुइ सिद्धि सु गमना ॥ ७ ॥ ॥ सुनहु ॥ अर्थ सियं सुइ अर्थ सु गमना, सब्द सुयं पय पिय अर्थ सु रमना । विंद विन्यान विंद नंत श्रवना, सुन्न समय विंद कमल जिन उवना ॥ नंद नंद जिन नंद जिन सुवना, ८ ॥ ॥ सुनहु ॥ विली विनंद नंद जिन जयना । ३८१ आनंद नंद आनंद जिन रखना, समयं सम समं उवन सम रमना, आनंद सियं सम कमल जिन उवना ॥ ९ 11 ॥ सुनहु ॥ हियं अनंत नंत हिय अगमा, उवन उवन सम समय सुइ श्रवना । अलष लषिय सुइ अलष जिनुत्तं, हिय उवन चतुस्टै उवन रे रमना ॥ १० ॥ ॥ सुनहु ॥ रंज रंज सुइ अगम अनंत अगम जिन रखना, श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी अलष रमन जिन जिनवर श्रवना । सहबार साह असह सह सहना, अगम सियं सिय कमल जिन उवना ।। ११ ।। ॥ सुनहु ॥ रमन रमन सुइ रमन जिन रमना, सहन साह हिय हुव उव उवना । रमन कमल कलि कलन जिन श्रवना ॥ १२ ॥ ॥ सुनहु ॥ रंज उव उवना, रंज हियं सह जिनय जिन जयना । उवन उवन उव उवन जै उवना, उवन जयं जै कमल जय उवना ।। १३ ।। ॥ सुनहु ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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