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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी समय गमनु नंत उव गमनु, रमि गमनु रमाई । उव उवन गमनु चिंतामनि, चिंति मुक्ति मिलाई ॥ १२ ॥
॥ जय. ॥ वस वास समय सम उवन वास, रलि वास समाई । उव उवन वास मलयागिरि, वसि मुक्ति वसाई ॥ १३ ॥
॥ जय.॥
(१९८) जोगी जोग फूलना गाथा २४९० से २५०२ तक
(विषय : विवान पांच) जय जय जय जय रमन सुइ,
सुइ सुर्य उवनु जयवंतु । उव उवन सहावे जय समय सुइ,
जय समय सिद्धि संपत्तु ॥
परमार्थ जोगी उवन सहिऊ ॥ १ ॥ उव उवन मुक्ति दर्सतु,
जिनय जिन जोगी सिद्धि सहिऊ । उव उवनो है दाता देउ,
रमन जिन जोगी मुक्ति रलिऊ ॥ सुइ समय रमन जिन देउ, __ अगम जिन जोगी सिद्धि सहिऊ ॥ २ ॥
॥आचरी॥
उव उवन दिप्ति सुइ दिप्ति मौ,
उव उवन दिस्टि इस्टंतु । उव उवन साष छत्तीस मौ,
उव उवन साष सिद्धि रत्तु ॥
जिनय जिन जोगी साष सहिऊ ॥ ३ ॥ उव उवन साष रमन जिन जोगी,
पत्त उवन ढलको च ढलं । सुइ पुहुप उवन सम समय निलय जिनु,
फल उवन समय सुइ सिद्धि ॥
जैवंत जोगी मुक्ति सहिऊ ॥ ४ ॥ उव उवन सब्द सुइ सब्द मौ,
सुइ उवन सब्द पिउ उत्तु । पिय पियं पियं पिय उवन पियं जिनु,
पिय सब्द समय सिद्धि रत्तु ॥
सिद्धि रत जोगी मुक्ति रलिऊ ॥ ५ ॥ सुइ सब्द समय सम कर्न मौ,
सुड़ कर्न सुवन सुइ उत्तु । सुइ सुर्य सुर्य सुइ हिय सहिऊ,
सुइ सुवन हुवन सिद्धि रत्तु ॥
रत्तु जिन जोगी सिद्धि सहिऊ ॥ ६ ॥ हुव उवन सुवन सुव सुवन पौ,
अवयास नंत विगसंतु ।
(३६१)